चीन की आबादी में 6 दशकों में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है. चीन के लिए ये बड़ी चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि उसकी आबादी का बड़ा हिस्सा बुजुर्ग होता जा रहा है. जन्म दर घटने से युवाओं की संख्या कम हो रही है. चीन में कई दशकों तक जनसंख्या नियंत्रण नीति (One Child Policy) लागू रही. माना जा रहा है कि उन जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के चलते ही देश की जनसंख्या में गिरावट आई है. चीन में मरने वालों का आंकड़ा, पैदा होने वाले बच्चों से ज्यादा है. सरकार इससे निपटने के लिए एक के बाद एक पॉलिसी लेकर आ रही है, लेकिन इसके सकारात्मक नतीजे नहीं निकल रहे हैं. सवाल ये है कि आखिर चीन में लोग शादी करना और बच्चे पैदा करना क्यों नहीं चाहते हैं?
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, यहां की जनसंख्या में साल 1961 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इस देश में अब नकारात्मक जनसंख्या ग्रोथ शुरू हो गई है. आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के अंत में देश की जनसंख्या 1.41175 अरब थी. जो साल 2021 के 1.41260 अरब के मुकाबले कम है. बता दें कि चीन कभी दुनिया में सबसे आबादी वाला देश था. अब भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है.
जन्मदर में आई भारी गिरावट
जनसंख्या में गिरावट, बुजुर्ग होती आबादी और जनसांख्यिकी में आ रहे बदलावों को रोकने के लिए चीन की सरकार कई नीतियां लेकर आई. वन चाइल्ड पॉलिसी में भी बदलाव किया गया. बावजूद इसके चीन की आबादी नहीं बढ़ पा रही है. साल 2021 में चीन में जन्मदर 7.52 बच्चे प्रति एक हजार लोग थी. बीते साल यह घटकर 6.77 बच्चे प्रति एक हजार हो गई. इससे चीन की जनसंख्या में 10 लाख से ज्यादा बच्चे कम पैदा हुए.
प्रजनन दर रिकार्ड निचले स्तर पर
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, 2022 में चीन की प्रजनन दर रिकार्ड निचले स्तर 1.9 पर चली गई. 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले देशों में चीन की प्रजनन दर सबसे कम है. इतना ही नहीं चीन में मृत्युदर भी साल 1976 के बाद सबसे ज्यादा है. चीन में 2022 में मृत्युदर 7.37 मौते प्रति एक हजार लोग रही.
वन चाइल्ड पॉलिसी का नुकसान
देश में जन्म दर बढ़ाने के लिए चीनी सरकार ने 2016 में वन-चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया था. इसके बाद 2020 में तीन बच्चे पैदा करने की नीति बनाई गई है. इसके लिए बीजिंग, सिचुआन और जियांगशी प्रांत में माता-पिता को ज्यादा छुट्टी देना, मैटरनिटी लीव, शादी के लिए छुट्टी और पैटरनिटी लीव बढ़ाने जैसी सुविधाएं शुरू की गई हैं. हालांकि, इसके बाद भी जन्म दर घट ही रही है. एक्सपर्ट्स वन-चाइल्ड पॉलिसी को ही लगातार घटती जन्म दर की वजह मानते हैं.
चीन में क्यों गिर रही है आबादी दर?
-बच्चों के लालन पालन का बढ़ा खर्च.
-बच्चों के जन्म के बाद महिलाओं के लिए करियर के विकल्प सीमित.
-लैंगिक भेदभाव की धारणा प्रचलित.
-बच्चों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर.
-बच्चों की देखभाल के लिए पिता को कम छुट्टी मिलना.
-वन चाइल्ड पॉलिसी का असर.
घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा
एक्सपर्ट ने चीन को चेताया है कि लगातार घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकती है. ऐसे में पेंशन भोगियों और दूसरे फायदों के साथ रिटायर्ड लोगों का अनुपात बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा. गिरती जन्म दर और उम्र दराज लोगों की बढ़ती आबादी की वजह से वर्किंग एज के लोगों की संख्या में गिरावट आती है. इससे देश का आर्थिक विकास प्रभावित होगा. सरकार को बुजुर्गों की मदद के लिए दी जाने वाली सुविधाओं में कमी करनी पड़ेगी.
जनसंख्या के मामले में बाकी देशों का क्या हाल?
ऑनलाइन लाइव काउंटर 'वर्ल्डोमीटर' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 20 साल में अफ्रीका ही ऐसा क्षेत्र बचा है, जहां आबादी सबसे ज्यादा बढ़ी है. यूरोप, अमेरिका और एशिया में परिवार कम बच्चों को वरीयता दे रहे हैं. नए अनुमान बताते हैं कि 2090 के आसपास दुनिया की आबादी 9 अरब के चरम पर पहुंच जाएगी और उसमें गिरावट शुरू होगी, पूर्व एशिया में यह ट्रेंड सबसे ज्यादा है.
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