आखिर 40 लाख कुत्तों को क्यों मार रहा है तुर्किए? दुनिया भर में मचा है बवाल

एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में सड़क पर रहने वाले कुत्तों की कुल आबादी लगभग 40 लाख है. ये कुत्ते बहुत ही खतरनाक हो चुके थे. इनकी जनसंख्या बढ़ने से नागरिकों का जीना बेहाल हो गया है.

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नई दिल्ली:

कहते हैं कुत्ते इंसानों के सबसे करीब होते हैं. इंसानी बस्तियों के पास रहते हैं, वहीं खाते हैं और फिर बिना डरे घूमते रहते हैं. देखा जाए तो दुनिया भर में बहुत से ऐसे इंसान हैं, जो कुत्तों से बेहद लगाव रखते हैं. हालांकि, एक खबर डॉग लवर्स को काफी विचलित कर सकती है. खबर के मुताबिक, देश में आवारा कुत्तों की संख्या से निपटने के लिए तुर्की के सांसदों ने हाल ही में एक नया नियम पारित किया है. ग्रैंड नेशनल असेंबली ने रात भर के सत्र के बाद विधेयक पारित किया; इस विधेयक में तुर्की की सरकार ने सड़क पर रह रहे अवारा कुत्तों को मारने का आदेश दिया है. 

विधेयक को पक्ष में 275 और विपक्ष में 225 वोटों से मंजूरी मिल गई. आने वाले दिनों में पूरी सभा में अंतिम मतदान होगा.

क्या है मामला?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में सड़क पर रहने वाले कुत्तों की कुल आबादी लगभग 40 लाख है. ये कुत्ते बहुत ही खतरनाक हो चुके थे. इनकी जनसंख्या बढ़ने से नागरिकों का जीना बेहाल हो गया है. ऐसे में तुर्की सरकार ने इन्हें मारने के आदेश दे दिए हैं. हालांकि, इसके विरोध सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

नए कानून में नगर पालिकाओं को आवारा कुत्तों को इकट्ठा करने और गोद लेने के लिए उपलब्ध कराने से पहले उन्हें टीका लगाने, नपुंसक बनाने और बधिया करने के लिए आश्रयों में रखने की आवश्यकता है. जो कुत्ते दर्द में हैं या असाध्य रूप से बीमार हैं, उन्हें इच्छामृत्यु दी जाएगी.

हालांकि, चिंताएं हैं कि कुछ कुत्ते जो मरने की हद तक बीमार हैं, असहनीय दर्द में हैं, या जो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं, उन्हें मौत की सज़ा दी जाएगी.

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लोगों का डर

तुर्की के विधायकों ने देश की सड़कों से लाखों आवारा कुत्तों को हटाने के लिए बनाए गइ एक कानून को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद पशु-प्रेमियों को डर है कि इससे कई कुत्ते मारे डाले जाएंगे या इन्‍हें कहीं सुनसान जगहों पर रख दिया जाएगा. 

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क्या है विरोधियों का तर्क?

विरोधियों का तर्क है कि कानून के परिणामस्वरूप सामूहिक इच्छामृत्यु हो सकती है या इन प्राणियों की उपेक्षा हो सकती है. समाचार पोर्टल के अनुसार, इस विधेयक को कानून के विरोधियों और पशु कल्याण संगठनों द्वारा "नरसंहार कानून" करार दिया गया है, जो इसे निरस्त करने पर जोर दे रहे हैं.
 

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  1. कुछ आलोचकों को यह भी डर है कि इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है, खासकर हाल के स्थानीय चुनावों में विपक्ष द्वारा महत्वपूर्ण लाभ के बाद. कानून में अनुपालन न करने वाले महापौरों के लिए दंड शामिल है, और मुख्य विपक्षी दल ने इसे लागू नहीं करने का वादा किया है.
  2. पूरे तुर्की में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, इस्तांबुल के सिशाने स्क्वायर और अंकारा में नगरपालिका कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारियों ने शत्रुता पर जीवन और एकजुटता पर जोर देते हुए कानून के प्रति अपना विरोध जताया है.
  3. राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, जिन्हें अब इस उपाय पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बनाना है, ने इसका समर्थन करने वाले विधायकों के प्रति आभार व्यक्त किया. विपक्ष ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना का संकेत दिया है.
  4. यह कानून मुख्य रूप से आवारा कुत्तों की आबादी को संबोधित करता है, जिसमें देश की बड़ी आवारा बिल्लियों की आबादी के लिए कोई प्रावधान नहीं है. सरकार का अनुमान है कि तुर्की में लगभग 4 मिलियन आवारा कुत्ते हैं.

देखा जाए तो यह कानून डॉग लवर्स के लिए अच्छा नहीं है. एक तरफ इंसानों को सुरक्षित रखा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मासूमों को हटाने का प्रावधान है. ऐसे में पशु प्रेमी और विरोधी पार्टी के सदस्य इस कानून का विरोध कर रहे हैं. 

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