'ग्रेजुएट रूट' क्यों बनाए रखना चाहते हैं ब्रिटेन में पढ़ रहे हैं भारतीय छात्र, पीएम ऋषि सुनक को लिखा पत्र

ग्रेजुएट रूट इंटरनेशनल ग्रेजुएट को काम का अनुभव हासिल करने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद दो साल और पीएचडी वालों को तीन साल तक यूके में रहने की इजाजत देता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

नेशनल इंडियन स्टूडेंट एंड एल्युमिनी यूनियन यूके (NISAU UK) ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (UK PM Rishi Sunak) से ग्रेजुएट रूट (Graduate Route) की सुरक्षा करने की मांग की है.ग्रेजुएट रूट ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढाई के बाद अनुभव हासिल करने के लिए रूकने का समय देता है.दरअसल माइग्रेशन एडवाइजरी कमेटी (MAC) को जांच में ग्रेजुएशन रूट के दुरुपयोग का कोई मामला नहीं मिला है. इसके बाद एमएसी ने ग्रेजुएशन रूट को उसके वर्तमान स्वरूप में ही बनाए रखने की सिफारिश की है.एनआईएसएयू यूके भारतीय छात्रों का एक संगठन है. 

क्या है ग्रेजुएट रूट

ग्रेजुएट रूट इंटरनेशनल ग्रेजुएट को काम का अनुभव हासिल करने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद दो साल  और पीएचडी वालों को तीन साल तक यूके में रहने की इजाजत देता है. इस नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच ब्रिटेन आकर्षण बना हुआ है. यह ब्रिटेन में उच्च शिक्षा क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में भी मदद करता है. 

पीएम सुनक को लिखे पत्र में एनआईएसएयू यूके की अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आर्थिक योगदान, ग्रेजुएट रूट के लिए सार्वजनिक समर्थन, कौशल की कमी को दूर करने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्नातकों की संभावित भूमिका, घरेलू छात्रों के लिए शैक्षिक अनुभवों के संवर्धन, ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और सॉफ्ट पावर बनने की दिशा में हुई बढ़ोतरी, ब्रिटेन में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना और ब्रिटिश रणनीतिक संपत्ति के रूप में विश्वविद्यालयों के महत्व जैसी बातों को शामिल किया है. इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 'डेलिवरू वीजा' तक सीमित कर देने जैसी गलतफहमी के मुद्दे को भी उठाया है.सनम ने अपने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि इन छात्रों ने ब्रिटेन में पढ़ने के लिए भारी निवेश किया है. उनका कहना है कि ये छात्र ब्रिटेन में सकारात्मक योगदान देते हैं.

Advertisement

ऋषि सुनक से क्या की है अपील

इस पत्र में ऋषि सुनक से ग्रेजुएट रूट में कोई बदलाव न करने की अपील की गई है. उनसे कोई ऐसा कदम न उठाने की अपील की गई जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों में ब्रिटेन की लोकप्रियता कम हो. सुनक के अलावा यह पत्र विदेश मंत्री लार्ड कैमरून, शिक्षा मंत्री गिलियन कीगन और भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर को भी भेजा गया है. 

Advertisement

ये भी पढ़ें: इंजीनियर बिटिया तो चली गई, अब किसको करें दुलार? पुणे हादसे में जान गंवाने वाली अश्विनी के परिवार का गम

Advertisement
Featured Video Of The Day
Assam By Poll Results 2024: ढोल-नगाड़े और गुलाल, Guwahati में BJP के जीत के दिखे रंग, क्या बोले Bhavesh Kalita
Topics mentioned in this article