- अमेरिका ने रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर यूक्रेन युद्ध के कारण प्रतिबंध लगाए हैं
- प्रतिबंधों में इन कंपनियों की अमेरिका में संपत्तियों को जब्त करना और अमेरिकी व्यापार पर रोक शामिल है
- रिलायंस इंडस्ट्रीज को रूस से तेल आयात में बदलाव करना पड़ सकता है क्योंकि वह सीधे रोसनेफ्ट से खरीदारी करता है
यूक्रेन में शांति समझौते पर बातचीत करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने के प्रयास में अमेरिका ने रूस की दो तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध (सैंक्शन) लगा दिए हैं. ये रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियां हैं. अमेरिकी प्रशासन ने इन कंपनियों पर यूक्रेन पर रूस के हमले को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया है. प्रतिबंधों में अमेरिका में रोसनेफ्ट और लुकोइल की सभी संपत्तियों को जब्त करना शामिल है. साथ ही सभी अमेरिकी कंपनियों को इन दो दिग्गज रूसी तेल कंपनियों के साथ कोई भी व्यापार करने की इजाजत नहीं होगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन दो रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिंबध से भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत पर क्या असर?
रूस के 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत, रूसी कच्चे तेल का बड़ा खरीदार बना है जिसने पश्चिमी खरीदारों के हटने के बाद मिली भारी छूट का लाभ उठाया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इन अमेरिकी प्रतिबंधों से रिलायंस इंडस्ट्रीज के रूस से कच्चे तेल के आयात पर असर पड़ने के आसार हैं जबकि सरकारी रिफाइनरियां फिलहाल मध्यस्थ व्यापारियों के माध्यम से खरीद जारी रख सकती हैं. उद्योग जगत के सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां अनुपालन जोखिमों का आकलन कर रही हैं, लेकिन रूसी कच्चे तेल के प्रवाह को तुरंत रोकने की संभावना नहीं है क्योंकि वे अपनी आवश्यकता का सभी तेल व्यापारियों से खरीदते हैं जिनमें से अधिकतर यूरोपीय व्यापारी हैं (जो प्रतिबंधों के दायरे से बाहर हैं).
रिलायंस ने दिसंबर 2024 में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (जो अब प्रतिबंधित है) के साथ 25 वर्ष तक प्रतिदिन 5,00,000 बैरल रूसी तेल आयात करने के लिए एक सावधिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह बिचौलियों से भी तेल खरीदता है. कंपनी को इस पर प्रतिक्रिया हासिल करने के लिए ईमेल किया गया लेकिन उससे खबर लिखने तक कोई जवाब नहीं मिला.
दोनों कंपनियां मिलकर प्रतिदिन 31 लाख बैरल तेल का निर्यात करती हैं। केवल रोसनेफ्ट वैश्विक तेल उत्पादन का छह प्रतिशत और रूस के कुल तेल उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा निर्यात करती है.