XBB.1.5 : कोरोना का सबसे तेज फैलने वाला वेरिएंट, अब तक 38 देश में मिला; जानें- इसके बारे में सब कुछ

Omicron New Sub-Variant: सब-वेरिएंट का पहली बार अमेरिका में अक्टूबर में पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को तेजी से जोखिम मूल्यांकन में कहा कि 38 देशों ने XBB.1.5 मामलों की सूचना दी है, जिनमें से 82 प्रतिशत अमेरिका में, 8 प्रतिशत ब्रिटेन में और 2 प्रतिशत डेनमार्क में दर्ज किए गए हैं.

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ये सब-वेरिएंट सीने के ऊपरी हिस्से पर ज्यादा असर करता है. डेल्टा की तरह ये सीधे लंग्स पर असर नहीं करता है.
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सब-वेरिएंट XBB.1.5 को अब तक का सबसे अधिक संक्रमणीय सब-वेरिएंट माना जा रहा है. शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ ही हफ्तों में XBB.1.5 यूरोप में चिंता का कारण बन जाएगा.
जर्नल सेल में पिछले महीने प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि XBB.1 के BA.2 सब-वेरिएंट की तुलना में मौजूदा एंटीबॉडी द्वारा बेअसर होने की संभावना 63 गुना कम है. ये सब-वेरिएंट अब तक 38 देशों में फैल चुका है. आइए जानते हैं क्या है XBB.1.5 और इसे इतना खतरनाक क्यों माना जा रहा है...

अमेरिका में मिला कोरोना का नया वेरिएंट क्या है?
अमेरिका में कोरोना का जो नया वेरिएंट मिला, उसे XBB.1.5 नाम दिया गया है. ये कोरोना के दो वेरिएंट्स के दोबारा मिलने से बना है. BJ1 और BM1.1.1 नाम के दो कोरोना वेरिएंट आपस में मिले, तो इन दोनों का DNA यानी जेनेटिक मैटेरियल आपस में कंबाइन हुआ. इससे XBB बना. फिर XBB वेरिएंट ने म्यूटेट किया यानी रूप बदला और वह XBB1 बना. इसका फिर G2502V के साथ म्यूटेशन हुआ, जिसके बाद वो XBB.1.5 वेरिएंट बना.

अब तक कितने केस?
सीडीसी के वेरिएंट ट्रैकर के अनुसार, सब-वेरिएंट का पहली बार अमेरिका में अक्टूबर में पता चला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को तेजी से जोखिम मूल्यांकन में कहा कि 38 देशों ने XBB.1.5 मामलों की सूचना दी है, जिनमें से 82 प्रतिशत अमेरिका में, 8 प्रतिशत ब्रिटेन में और 2 प्रतिशत डेनमार्क में दर्ज किए गए हैं. यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) ने शुक्रवार को कहा कि इसका मॉडल बताता है कि XBB.1.5 एक या दो महीनों में यूरोप में प्रमुख तनाव बन सकता है.

ये वेरिएंट शरीर को कैसे पहुंचाता है नुकसान?
हमारे शरीर में घुसने के बाद सबसे पहले ये वायरस कोशिका के प्रोटीन (HACE रिसेप्टर) पर असर करता है. ये शरीर के अंदर संक्रमण फैलने का पहला स्टेज है. इस वायरस की कोशिका से चिपकने की क्षमता बाकी वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा है. यही वजह है कि ये ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है. ये सब-वेरिएंट सीने के ऊपरी हिस्से पर ज्यादा असर करता है. डेल्टा की तरह ये सीधे लंग्स पर असर नहीं करता है. 

इसे इतना खतरनाक क्यों कहा जा रहा है?
इस वेरिएंट को दूसरे वेरिएंट के मुकाबले इसलिए इतना खतरनाक है, क्योंकि ये हमारे शरीर में वैक्सीनेशन और नेचुरल तरीके से बनी एंटी बॉडीज को बेअसर करके संक्रमण फैलाता है. इतना ही नहीं, ये संक्रमण हमारे शरीर में अब तक के सभी वेरिएंट से 104 गुना ज्यादा तेजी से फैलता है. अभी तक हमारे पास कोई ऐसी वैक्सीन या इम्यूनिटी नहीं है जो इस वायरस के संक्रमण से बचा सकता है.

क्या इस पर वैक्सीन असर नहीं करेगी?
दुनिया में जितनी भी वैक्सीन बनी हैं, उनकी कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने की क्षमता केवल 30 से 40 फीसदी है. ज्यादातर वैक्सीन कोरोना के पहले वेरिएंट अल्फा वायरस से लोगों को बचाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन तब से अब तक कोरोना वायरस अपना कई बार रूप बदल चुका है. हालांकि, कुछ वैक्सीन को अपडेट करके BA5 सब वेरिएंट से बचाने के लिए बनाया गया है. इस नए सब-वेरिएंट पर वैक्सीन बेअसर है. हालांकि, साइंटिस्ट इस सब-वेरिएंट का तोड़ निकालने के लिए रिसर्च कर रहे हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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