ईरान पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश के नाम एक संबोधन दिया. इसमें उन्होंने कहा कि हमलों का उद्देश्य ईरान की 'परमाणु संवर्धन क्षमता को रोकना और दुनिया में आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले नंबर एक देश की तरफ से पैदा हुए परमाणु खतरे पर लगाम लगाना था' . ट्रंप ने कहा, 'या तो शांति होगी या ईरान के लिए पिछले आठ दिनों में देखी गई त्रासदी से कहीं ज्यादा बड़ी त्रासदी होगी. याद रखें, अभी कई लक्ष्य बचे हैं.'
ट्रंप बोले सबसे मुश्किल था लक्ष्य
आज रात का लक्ष्य अब तक का सबसे मुश्किल था और शायद सबसे कानूनी भी, लेकिन अगर शांति जल्दी नहीं आती है, तो हम सटीकता, गति और कौशल के साथ उन अन्य लक्ष्यों पर हमला करेंगे.' उन्होंने कहा, 'आज रात, मैं दुनिया को बता सकता हूं कि हमले एक शानदार सैन्य सफलता थी.' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने और इजरायल के प्रधानमंत्री ने एक टीम के रूप में काम किया.
नेतन्याहू को बोले थैंक्स
ट्रंप ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री बीबी नेतन्याहू को धन्यवाद देना चाहता हूं और बधाई देना चाहता हूं.' हमने एक टीम के रूप में काम किया, जैसा कि शायद पहले कभी किसी टीम ने काम नहीं किया, और हम इजरायल के लिए इस भयानक खतरे को मिटाने में काफी आगे बढ़ गए हैं.
तीन मिनट के अपने संबोधन में ट्रंप ने हमलों को 'शानदार सैन्य सफलता' बताया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि ईरान की परमाणु सुविधाएं 'पूरी तरह से नष्ट कर दी गई हैं'. ट्रंप ने विदेशों में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप से बचने का वादा किया था. लेकिन उन्होंने इस हमले को अपने पहले कार्यकाल के दौरान ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के तहत ही बताया है.