मंगल ग्रह पर दफन मिला 3 अरब साल पुराना समुद्र तट, चीन के रोबोट ने क्या पता लगाया है?

क्या मंगल ग्रह पर भी पानी है? क्या वहां भी धरती की तरह कभी समुद्र हुआ करता था? इंसान 19वीं सदी से ही इस सवाल का जवाब खोजने में लगा है.

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क्या मंगल ग्रह पर भी पानी है? क्या वहां भी धरती की तरह कभी समुद्र हुआ करता था? इंसान 19वीं सदी से ही इस सवाल का जवाब खोजने में लगा है. रुक-रुक कर सबूत सामने आते हैं जो इस सवाल का जवाब हां में देते हैं. ऐसा ही एक बड़ा सबूत सामने आया है. एक नई रिसर्च के अनुसार, 3.6 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर समुद्र की लहरें थीं, जो रेतीले समुद्र तटों से टकराती थीं. मंगल ग्रह पर भेजे गए चीन के खोजी रोबोट ने जो डेटा जमा किया है, उसके एनालिसिस से यह बात सामने आई है.

स्टडी में क्या सामने आया?

चीन ने मंगल पर जूरोंग नाम का रोवर भेजा था. इस रोवर ने और उसके जमीन में भेदने वाले रडार ने मई 2021 से लेकर मई 2022, यानी एक साल तक काम किया और मंगल पर प्राचीन तटरेखाओं का पता लगाया. जूरोंग रोवर ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार नामक तकनीक का उपयोग किया, जो सतह से 100 मीटर नीचे तक जांच करता था.

रडार ने मंगल की जमीन के नीचे छिपी हुई चट्टान की परतों की जांच की और डेटा जमा किया. इस डेटा की धरती की समुद्री तट के डेटा से तुलना की गई. डेटा के एनालिसिस के बाद 24 फरवरी को अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की मैगजिन में स्टडी रिपोर्ट छपी.

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के भूविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बेंजामिन कर्डेनस इस रिसर्च के कोऑथर हैं. उन्होंने कहा, "हम मंगल ग्रह पर ऐसे स्थान ढूंढ रहे हैं जो प्राचीन समुद्र तटों और प्राचीन नदी डेल्टाओं की तरह दिखते थे. हमें हवा, लहरें और रेत की कोई कमी नहीं होने के सबूत मिले हैं. ठीक हॉलिडे मनाने आप जैसे समुद्र तट (बीच) पर जाते हैं, वैसा."

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इस स्टडी के लेखकों ने लिखा है कि इसके अलावा, यह संभव है कि मंगल ग्रह का वातावरण हम जितना अनुमान लगाते हैं, लाखों सालों तक उससे कहीं अधिक गर्म और गीला था.

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इस रिसर्च से सामने आई बातों से इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि मंगल ग्रह कभी गर्म हुआ करता था, वहां आर्द्र जलवायु के साथ-साथ एक महासागर था जो मंगल ग्रह की सतह के एक तिहाई हिस्से को कवर करता था. ऐसी स्थितियां जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बना सकती थीं.

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मंगल पर पानी खोज रहे कई देश, इसमें भारत कहां है?

मंगल ग्रह पर भेजे गए चलने वाले रोबोट, रोवर्स वहां की मिट्टी और वातावरण सहित उसके कई पहलुओं की स्टडी करते हैं. साथ ही उनका जोर इसपर भी होता है कि वहां पानी का कोई भी सबूत हाथ लगे. पानी की खोज इसलिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर है क्योंकि इससे यह निर्धारित होगा कि मंगल पर कभी जीवन था या नहीं. तलछटी चट्टानें यानी सेडिमेंट्री रॉक्स के जांच पर खास फोकस दिया जाता है क्योंकि उनमें ही पानी के सबूत मिल सकते हैं.

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  • नासा का पर्सिवरेंस रोवर मंगल के डेल्टा क्षेत्र में जीवन की तलाश कर रहा है.
  • मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), मंगल ग्रह के लिए भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था और 5 नवंबर, 2013 को PSLV-C25 पर लॉन्च किया गया था. इसके साथ ISRO मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई. भले ही डिजाइन किए गए मिशन का जीवन 6 महीने था लेकिन MOM ने 24 सितंबर, 2021 को अपनी कक्षा में 7 साल पूरे कर लिए. भारत मंगल की सतह पर नहीं उतरा है बल्कि उसकी कक्षा तक पहुंचा है.
  • वहीं चीन के रोवर जूरोंग का फोकस पानी के बहुत ही अलग भंडार पर था. उसने मंगल के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक प्राचीन महासागर के अवशेष को अपना फोकस एरिया बनाया. इसे चीन की स्पेस एजेंसी ने 2020 में लॉन्च किया था. यह 2021 से 2022 तक मंगल ग्रह पर एक्टिव रहा था.

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