यूक्रेन में चीन के दूत ने रविवार को कहा कि नागरिकों को निकालने के लिए वहां के मौजूदा हालात बहुत असुरक्षित थे. इन हालातों के मद्देनजर दूतावास ने कहा कि वह रूसी आक्रमण के बाद लोगों को छोड़ने में मदद करने की योजना तैयार करेगा. दूतावास के आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर एक लंबे वीडियो संदेश में, चीनी राजदूत फैन जियानरोंग ने अफवाहों को दूर करने की मांग की और युद्धग्रस्त इलाके में फंसे चीनी नागरिकों को उनकी मदद का भरोसा दिलाया.
चीनी राजदूत ने कहा कि "हमें पहले सुरक्षित होने तक इंतजार करना चाहिए," फैन ने कहा, जब तक सुरक्षा शर्तों को पूरा किया जाता है और तब ही सभी की सुरक्षा की गारंटी दी जाती है, हम उसी को ध्यान में रखकर उचित व्यवस्था करेंगे" संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गुरुवार को शुरू हुए यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने लगभग 150,000 लोगों को पड़ोसी देशों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. वहीं हफ्तों पहले, यूके, यूएस और जापान सहित कई देशों ने अपने राजनयिकों को निकाल लिय़ा था और नागरिकों से भी यूक्रेन छोड़ने का आग्रह किया.
चीन, पूरे संकट के दौरान रूस की निंदा करने से बचता आया है. चीन ने यह घोषणा करने से पहले गुरुवार तक इंतजार किया कि वह अपने नागरिकों को निकालने के लिए चार्टर उड़ानें तैयार करेगा. यूक्रेन ने जोखिम का हवाला देते हुए उसी दिन अपने हवाई क्षेत्र को नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया. फैन ने कहा, " कुछ दिनों में, हर किसी की तरह, हमने लगातार सायरन, विस्फोट और गोलियों की आवाज सुनी और हम बार-बार तहखाने में छिप गए. ये असल में उस तरह के दृश्य हैं जो हमने पहले केवल फिल्मों में देखे थे."
इसके साथ ही यूक्रेनियन से चीनी नागरिकों के प्रति बढ़ती शत्रुता के कई असत्यापित सोशल मीडिया दावों के बाद, उन्होंने चीनी नागरिकों से "स्थानीय लोगों के साथ झगड़ा न करने" का अनुरोध किया, उन्होंने कहा कि इस वक्त यूक्रेन के लोग बेहद ही मुश्किल स्थिति में हैं और बहुत पीड़ित हैं" ऐसे में हमें उनकी भावनाओं को समझना चाहिए और उन्हें भड़काना नहीं चाहिए." दूतावास ने अपने नागरिकों कीव छोड़ने वालों को अपने वाहनों पर चीनी ध्वज को लगाने को कहा था.
चीन ने पहले बताया था कि यूक्रेन में काम और अध्ययन के लिए लगभग 6,000 चीनी नागरिक थे. इस बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेरबॉक से कहा कि चीन किसी भी तरह के प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता है और रूस की "वैध सुरक्षा मांगों को ठीक से संबोधित किया जाना चाहिए". बता दें कि 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में 11 मत मिले. रूस ने इसका विरोध किया और भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने वोट से परहेज किया था.