- व्लादिमीर पुतिन का बचपन लेनिनग्राद की जर्जर इमारतों में अभावों और बहुत कठिनाइयों के बीच बीता था
- बचपन में दब्बू पुतिन को बच्चे परेशान करते थे, उन्हें सबक सिखाने के लिए जूडो सीखा और बदमाशी करने लगे
- 90 के दशक में आर्थिक तंगी में एक ऐसा दौर भी आया, जब पुतिन को टैक्सी चलाकर गुजारा करना पड़ा था
1960 के दशक की बात है. एक छोटा सा बच्चा अभावों में पला-बढ़ा. अपने माता-पिता के साथ एक जर्जर इमारत में रहता था. वहां न नहाने की सुविधा थी, न गर्म पानी का इंतजाम. टॉयलेट बदबू मारता रहता था. उस मकान की 5वीं मंजिल पर बने अपने घर तक पहुंचने के लिए उस बच्चे को चूहों भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता था. वह छड़ी लेकर उन चूहों को भगाता, फिर ऊपर पहुंचता. एक दिन उसके रास्ते में एक बहुत बड़ा चूहा बैठा था. वह बच्चा छड़ी लेकर चूहे के पीछे दौड़ा. चूहा डरकर भागने लगा. भागते-भागते एक कोने में पहुंच गया. वहां से भागने की कोई जगह नहीं थी. इस पर चूहा पलटा और बच्चे के ऊपर झपट पड़ा. बच्चा डर गया और भाग निकला. लेकिन इस घटना ने उस बच्चे को जिंदगी का सबसे बड़ा सबक दिया. सबक ये कि जब कभी ऐसी परिस्थिति में फंस जाओ कि निकलने का कोई रास्ता ही न बचे तो पलटकर हमला कर देना चाहिए. वह बच्चा था व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन. वही पुतिन, जिनकी गिनती आज दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में होती है.
जर्जर इमारतों में बीता पुतिन का बचपन
पुतिन का बचपन लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) की जर्जर इमारतों और युद्ध के बाद के कठिन हालातों में बेहद संघर्षों के बीच बीता. उनके पिता व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच पुतिन सोवियत संघ की नौसेना में काम करते थे. द्वितीय विश्व युद्ध में लेनिनग्राद की 900 दिनों तक घेराबंदी के दौरान उन्होंने सोवियत सेना के लिए जंग लड़ी थी और गंभीर रूप से घायल हो गए थे. युद्ध के बाद एक ट्रेन कारखाने में काम करके जिंदगी बसर की. पुतिन की मां मारिया एक फैक्ट्री वर्कर थीं. पुतिन के दादा स्पिरिडॉन सोवियत संघ के संस्थापक व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के रसोइए थे.
दो बड़े भाइयों की भुखमरी-बीमारी से मौत
7 अक्तूबर 1952 को लेनिनग्राद के जिस अस्पताल में पुतिन का जन्म हुआ था, उस अस्पताल की हालत ये थी कि वहां पैदा होने वाले बहुत से बच्चे बाहर जाने से पहले मर जाते थे. पुतिन अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं. उनके एक बड़े भाई की मौत बचपन में बीमारी से हो गई थी. दूसरा बड़ा भाई भुखमरी और युद्ध के हालात की बीच जिंदा नहीं रह पाया.
दब्बू किस्म का बच्चा कैसे बना बदमाश
पुतिन बचपन में दब्बू किस्म के थे. एक बार पड़ोस के बच्चों से उनकी लड़ाई हो गई. वो बच्चे ताकतवर थे, वो हावी रहे. उनसे बचने के लिए पुतिन ने जूडो सीखना शुरू किया. उसके बाद बदमाशी शुरू कर दी. सड़कों पर गुंडागर्दी करना, लड़ाई-झगड़ा करना उनकी रग-रग में बस गया था. पुतिन बचपन में अक्सर बच्चों से झगड़ा करते थे और खुद को स्ट्रीट फाइटिंग हूलिगन बताते थे. छोटी उम्र से ही वो मार्शल आर्ट सीखने लगे थे. 18 साल की उम्र तक ब्लैक बेल्ट हासिल कर ली थी.
जासूसी नॉवेल पढ़कर बने KGB एजेंट
मुश्किल हालात में पले-बढ़े पुतिन को बचपन से ही जासूसी नॉवेल लुभाती थीं. कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रेरित पुतिन रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी में जाना चाहते थे. लेकिन केजीबी ऐसे ही किसी को भर्ती नहीं करती थी. इसलिए पुतिन ने कानून की पढ़ाई की और 1975 में केजीबी में शामिल हो गए. केजीबी में वह लेफ्टिनेंट कर्नल बनकर 1991 में सोवियत संघ के टूटने तक रहे.
तंगी के दौर में टैक्सी भी चलाई थी
सोवियत संघ के पतन से देश में आर्थिक संकट छा गया था. उस दौर में पुतिन को अतिरिक्त आमदनी के लिए टैक्सी चलानी पड़ी थी. वह कभी कार चलाकर तो कभी प्राइवेट ड्राइवर बनकर काम चलाते थे. पुतिन ने खुद बताया था कि उस दौर में टैक्सियां बहुत कम हुआ करती थीं. कई लोग अपना गुजारा चलाने के लिए अजनबियों को टैक्सी चलाने के लिए देते थे. कई तो एंबुलेंस जैसी गाड़ियों को भी टैक्सी में चलाते थे.
डिप्टी मेयर से राष्ट्रपति, पीएम बनने का सफर
1990 के दशक की शुरुआत में पुतिन को लेनिनग्राद के मेयर अनातोली सोबचक के कार्यालय में काम करने का मौका मिला. उसके बाद वह डिप्टी मेयर बन गए. 1994 से 1996 तक वह सेंट पीटर्सबर्ग में कई पदों पर रहे. 1996 में मॉस्को जाकर उस वक्त के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में काम करने का मौका मिला. 1999 में कुछ समय के लिए पुतिन मंत्री भी रहे. येल्तसिन के इस्तीफा देने के बाद पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति चुना गया. मार्च 2000 में हुए चुनाव में उन्हें औपचारिक रूप से राष्ट्रपति चुन लिया गया. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा कि रूस के राष्ट्रपति बने हुए हैं. हालांकि बीच में 2008 से लेकर 2012 तक वह रूस के प्रधानमंत्री भी रहे थे.
पुतिन ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने टैक्सी की स्टीयरिंग से लेकर केजीबी की गुप्त फाइलों तक और फिर क्रेमलिन की सत्ता की ऊंचाइयों तक का सफर तय किया है. कठोर अनुशासन, रहस्यमय निजी जीवन और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ पुतिन आज भी दुनिया की सबसे चर्चित और विवादित शख्सियतों में गिने जाते हैं. उनकी कहानी सिर्फ सत्ता की नहीं बल्कि ताकत, रहस्य और रणनीति का प्रतीक बन चुकी है.













