जेलेंस्की का क्या है 'विक्ट्री प्लान', यूरोपियन साथियों को बताया

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा है कि पेरिस अपनी समस्याओं से जूझ रहा है. घरेलू राजनीतिक कठिनाइयों के बावजूद फ्रांस अभी भी युद्ध में कीव के साथ पूरी तरह से खड़ा है. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन के ऐसे बयान से यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि आखिर फ्रांस कब तक यूक्रेन के साथ खड़ा रह सकता है.

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नई दिल्ली:

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन में युद्ध (रूस यूक्रेन युद्ध) ढाई साल से भी ज्यादा समय से जारी है और ऐसे में यूक्रेन पर रूस ने कई बड़े हमले किए और काफी नुकसान भी किया. लेकिन रह रहकर यूक्रेन की ओर से रूस को करारा जवाब भी दिया जा रहा है और इससे रूस काफी परेशान चल रहा है. ऐसे में कई बार तो यह भी सवाल उठा कि क्या यहां कोई परमाणु युद्ध (nuclear war) की संभावना भी बन रही है. क्या रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकता है. इस सवाल का जवाब रूस की ओर से ही आ गया है. रूस ने साफ कर दिया है कि वह यूक्रेन पर फिलहाल किसी प्रकार से परमाणु हमला करने नहीं जा रहा है. 

इधर, जहां दोनों देशों के बीच दनादन हमले जारी है, ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोडिमिर जेलेंस्की ने यूरोप का दौरा कर डाला है. इस दौरे के दौरान जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार से युद्ध विराम पर चर्चा के लिए नहीं आए हैं.

अपने दौरे के दौरान वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि रूस के साथ युद्धविराम पर यूरोपीय सहयोगियों के साथ चर्चा नहीं चल रही है क्योंकि उन्होंने चार राजधानियों के दौरे के दौरान सर्दियों से पहले अधिक पश्चिमी समर्थन का आग्रह किया था.

नाटो प्रमुख और यूरोपियन नेताओं से वार्ता

बताया जा रहा है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ब्रिटेन, फ्रांस और इटली के नेताओं के साथ-साथ नाटो के आगामी प्रमुख के साथ अपने  "विक्ट्री प्लान" पर चर्चा की है. उन्होंने युद्धविराम की किसी भी बात को खारिज कर दिया. साथ ही यह भी कह दिया कि उन्होंने अपनी विक्ट्री प्लान पर ज्यादा विस्तार से बात नहीं की है.  यह प्लान अभी गोपनीय रखा गया है. यह प्लान क्या है और कितना कामयाब होगा यह तो समय ही बताएगा. 

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लंबी दूरी की मिसाइल का प्रयोग होगा क्या

बता दें कि ज़ेलेंस्की ने गुरुवार को ब्रिटिश प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर और नाटो प्रमुख मार्क रुटे के साथ बातचीत में इस बात पर भी चर्चा की कि क्या यूक्रेन रूस में लक्ष्यों पर हमले के लिए पश्चिमी मिसाइलों का उपयोग कर सकता है. रूट ने वार्ता के बाद डाउनिंग स्ट्रीट में कहा, "हमने आज इस पर चर्चा की, लेकिन अंत में यह व्यक्तिगत सहयोगियों पर निर्भर है." स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा कि लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल पर यूके सरकार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

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यहां पर बता दें कि लंदन की ओर से यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रयोग पर हामी नहीं बरी गई है.

इटली से यूक्रेन को मिला क्या समर्थन

उधर, ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत के बाद इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने घोषणा की कि रोम यूक्रेन के पुनर्निर्माण में मदद के लिए काम करेगा. जॉर्जिया मेलोनी ने कहा, "यूक्रेन अकेला नहीं है और जब तक जरूरत होगी हम उसके साथ खड़े रहेंगे." स्विट्जरलैंड, लंदन और बर्लिन में पिछले सम्मेलनों के बाद, मेलोनी ने कहा कि अगला यूक्रेन रिकवरी सम्मेलन 10-11 जुलाई 2025 को रोम में होगा.

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क्या डगमगाने लगा है फ्रांस

इस पूरे मामले में फ्रांस की ओर से भी स्थिति को स्पष्ट किया गया है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा है कि पेरिस अपनी समस्याओं से जूझ रहा है. घरेलू राजनीतिक कठिनाइयों के बावजूद फ्रांस अभी भी युद्ध में कीव के साथ पूरी तरह से खड़ा है.

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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन के ऐसे बयान से यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि आखिर फ्रांस कब तक यूक्रेन के साथ खड़ा रह सकता है.

फ्रांस के अपने आर्थिक हालात खराब होते जा रहे हैं. इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि फ्रांस अपनी वर्तमान प्रतिबद्धताओं पर कायम रहेगा, जिसमें इस वर्ष €3 बिलियन ($3.28 बिलियन) का समर्थन शामिल है. इसके साथ ही पेरिस 3,000 यूक्रेनी सैनिकों की एक ब्रिगेड को प्रशिक्षण और सुसज्जित कर रहा है और अगले साल की शुरुआत में यूक्रेन में मिराज लड़ाकू जेट भेजने की योजना बना रहा है.

विश्व बैंक कोष बनाकर करेगा यूक्रेन की मदद

ऐसे में विश्व बैंक ने यूक्रेन की मदद के लिए एक कोष बनाने की पहल की है .विश्व बैंक के कार्यकारी बोर्ड ने यूक्रेन का समर्थन करने के लिए एक वित्तीय मध्यस्थ कोष के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इसमें अमेरिका, कनाडा और जापान से योगदान की उम्मीद है. इश बारे में रॉयटर्स को सूत्रों ने खबर दी है. इस मामले में रूस ने अपनी आपत्ति जता दी है और विरोध भी किया है. 

खाद्य संकट पैदा करने की रूस की चाल
यूक्रेन के उप-प्रधानमंत्री ओलेक्सी कुलेबा ने कहा है कि रूस ने पिछले तीन महीनों में यूक्रेन के बंदरगाहों पर बुनियादी ढांचे पर लगभग 60 बार हमला किया है और ऐसे हमले तेज कर रहा है. ओलेक्सी कुलेबा ने कहा, "इन हमलों का उद्देश्य हमारी निर्यात क्षमता को कम करना है."

इसके अलावा यह भी प्रयास हो रहे हैं कि उन हिस्सों में खाद्य संकट भड़के जहां पर यहां से अनाज की आपूर्ति होती है.

कुलेबा का दावा है कि कहा कि हमलों ने लगभग 300 बंदरगाह बुनियादी सुविधाओं और 22 नागरिक जहाजों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया।

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