सऊदी को सबसे घातक फाइटर जेट देगा अमेरिका, एक साथ ईरान और इजरायल को वॉर्निंग मैसेज दे रहे ट्रंप?

US-Saudi Arabia Defense Deals: सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान मंगलवार, 18 नवंबर को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. यहां दोनों देशों के बीच सिविलियन न्यूक्लियर कॉपरेशन फ्रेमवर्क पर भी मुहर लग सकती है.

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  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सऊदी अरब को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट बेचने की घोषणा की है
  • अमेरिका ने अब तक F-35 केवल निकटतम सहयोगी देशों को बेचा है, लेकिन सऊदी को बेचकर वह नया संकेत दे रहा है
  • ट्रंप और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार, 17 नवंबर को कहा कि अब अमेरिका सऊदी अरब को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट बेचेगा. ट्रंप ने यह ऐलान सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के व्हाइट हाउस दौरे से ठीक एक दिन पहले किया है. जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वाशिंगटन मंगलवार, 18 नवंबर को होने जा रहे बैठक में रियाद को यह घातक फाइटर जेट बेचने पर सहमत होगा, तो उन्होंने मीडिया से कहा, "हम ऐसा करेंगे. हम F-35 बेचेंगे.. वे (सऊदी) एक महान सहयोगी रहे हैं."

अमेरिका और सऊदी अरब के बीच यह डील खास होगी क्योंकि सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका से F-35 फाइटर जेट खरीदने की मांग कर रहा है. अभी पूरे मिडिल ईस्ट में केवल इजरायल के पास यह छिपकर मार करने वाला एडवांस फाइटर जेट है. खास बात है कि इजरयाल खुद सऊदी के साथ अपने रिश्तों को सामान्य बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है, इसके बावजूद उसने सऊदी अरब को यह फाइटर जेट बेचने के बारे में चिंता व्यक्त की है.

अमेरिका ने अब तक केवल अपने निकटतम सहयोगी देशों को ही F-35 फाइटर जेट बेचे हैं, इसमें कई यूरोपीय देश (जो नाटो में शामिल हैं) और इजरायल शामिल हैं. अब लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप सऊदी को भी यह फाइटर जेट बेचकर इजरायल के साथ ईरान को भी मैसेज देना चाहते हैं. इजरायल को यह मैसेज कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में सिर्फ उसपर निर्भर रहकर अपने हितों को नहीं साधेगा बल्कि नए प्लेयर्स पर भी दांव खेलने को वह तैयार है. जबकि ईरान को बैलेंस करने के लिए इजरायल के बाद अमेरिका के पास एक और इक्का रहेगा.

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2019 में तुर्की को F-35 कार्यक्रम से बाहर कर दिया क्योंकि तुर्की रूस से भी वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) खरीद रहा था. ऐसे में अमेरिका को डर था कि कहीं रूस तुर्की की मदद से दरवाजे से उसके F-35 फाइटर प्लेन की तकनीक हासिल न कर ले.

अमेरिका और सऊदी में न्यूक्लियर डील भी हो सकती है

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने कहा कि ट्रंप और साऊदी क्राउन प्रिंस एक नागरिक परमाणु सहयोग (सिविलियन न्यूक्लियर कॉपरेशन) के फ्रेमवर्क पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. दुनिया के टॉप तेल उत्पादक देशों में से एक, सऊदी अरब का कहना है कि अब वह जीवाश्म ईंधन से दूर अपने इनर्जी सोर्स में विविधता लाना चाहता है और वह एडवांस अमेरिकी तकनीक की तलाश कर रहा है. लेकिन ऐसे समझौते कड़े नियमों के अधीन हैं, और अमेरिका की संसद भी किसी तरीके के समझौते की अच्छे से जांच करेगी.

सऊदी अरब का कहना है कि वह परमाणु हथियार नहीं चाहता है. यहां ध्यान देने लायक बात यह भी है कि उसने हाल ही में परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान के साथ नाटो जैसे एक रक्षा साझेदारी की है.

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