- यूक्रेन और अमेरिका ने 20 सूत्रीय शांति समझौता तैयार किया है, जिस पर पुतिन की मंजूरी का इंतजार है
- इस शांति समझौते में यूक्रेन की संप्रभुता की पुष्टि और मजबूत सुरक्षा गारंटी देने का प्रस्ताव भी शामिल है
- हालांकि क्षेत्रीय विवाद जैसे डोनबास पर कंट्रोल और जपोरिज्जिया परमाणु प्लांट को लेकर सहमति नहीं बनी है
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 4 साल से जारी युद्ध खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है. अमेरिका और यूक्रेन के बीच शांति समझौते की शर्तों पर काफी हद तक सहमति बन गई है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने 20 सूत्रीय पीस प्लान की शर्तों का बुधवार को पहली बार खुलासा किया. उन्होंने कहा कि यह रूस से युद्ध खत्म करने का आधार बन सकता है. हालांकि दो प्रमुख मुद्दों- जपोरिज्जिया परमाणु प्लांट और डोनबास इलाके पर कंट्रोल को लेकर अभी सहमति नहीं बनी है.
प्रस्तावित शांति समझौते के मुख्य बिंदु
- यूक्रेन की संप्रभुता की पुष्टि की जाएगी और उसे मजबूत सुरक्षा गारंटी दी जाएगी. रूस और यूक्रेन आक्रामकता रोकने का दीर्घकालीन समझौता करेंगे, जिसकी निगरानी अंतरिक्ष से की जाएगी.
- यूक्रेन 8 लाख सैनिकों की अपनी सेना बनाए रखेगा. सेना घटाने के लिए यूक्रेन राजी नहीं हुआ है. अमेरिका, नाटो और यूरोपीय देश यूक्रेन को आर्टिकल 5 जैसी सुरक्षा गारंटी देंगे, जो नाटो के सामूहिक रक्षा सिद्धांत की तरह है.
- रूस यूरोप और यूक्रेन के प्रति गैर आक्रामक नीति को कानून और दस्तावेजों में औपचारिक रूप देगा और इसे अपनी संसद (स्टेट ड्यूमा) में भारी बहुमत से पारित किया जाएगा.
- यूक्रेन एक निश्चित तारीख पर यूरोपीय संघ का सदस्य बनेगा. उसे यूरोपीय बाजार में कुछ समय के लिए विशेष तरजीही पहुंच मिलेगी. अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता का भी मौका दिया जाएगा.
- युद्ध में तबाह यूक्रेन को पैकेज मिलेगा. विकास और पुनर्निर्माण के लिए 800 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए कई विशेष फंड और ग्लोबल डेवलपमेंट पैकेज तैयार किए जाएंगे.
- यूक्रेन परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के अनुरूप एक गैर परमाणु देश बना रहेगा, मतलब वह परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा.
- दोनों देश सहिष्णुता बढ़ाने और नस्लवाद खत्म करने के लिए शैक्षिक कार्यक्रम चलाएंगे. यूक्रेन धार्मिक सहिष्णुता और अल्पसंख्यक भाषाओं के संरक्षण के लिए यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करेगा.
- रूस नीपर नदी और काला सागर के व्यावसायिक उपयोग में बाधा नहीं डालेगा. किनबर्न स्पिट (Kinburn Spit) क्षेत्र से सेना हटाई जाएगी और आने-जाने की आजादी के लिए अलग से समझौता होगा.
- एक मानवीय समिति बनाई जाएगी, जो सभी युद्धबंदियों, बंधक नागरिकों और बच्चों की वापसी सुनिश्चित करेगी.
- शांति समझौते पर दस्तखत होने के तुरंत बाद यूक्रेन में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएंगे.
- यह समझौता कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा. इसकी निगरानी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की अध्यक्षता में पीस काउंसिल बनेगी. कोई नियम तोड़ेगा तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
- जैसे ही सभी पक्ष इस समझौते पर सहमत होंगे, तुरंत प्रभाव से पूर्ण युद्धविराम लागू हो जाएगा.
क्षेत्रीय विवाद सबसे बड़ा रोड़ा
रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा क्षेत्रीय विवाद है, जिस पर सहमति नहीं बनी है. रूस ने डोनबास के लुहांस्क के ज्यादातर इलाके को कब्जा लिया है और डोनेत्स्क के 70 फीसदी क्षेत्र पर अधिकार कर लिया है. वह चाहता है कि यूक्रेन बाकी इलाके पर भी अपना दावा छोड़ दे. यूक्रेन इस पर राजी नहीं है. वह चाहता है कि यहां जनमत संग्रह कराकर लोगों की राय ली जाए कि वहां के लोग किसके साथ रहना चाहते हैं. अमेरिका ने बीच का रास्ता निकालते हुए इस इलाके से सेनाएं हटाकर मुक्त आर्थिक क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव दिया है. जेलेंस्की ने कहा है कि यह क्षेत्रीय विवाद सबसे जटिल मुद्दा है. इसका फैसला नेतृत्व के स्तर पर ही होगा.
परमाणु प्लांट को लेकर भी असहमति
इसके अलावा जपोरिज्जिया परमाणु प्लांट को लेकर भी अंतिम सहमति नहीं बन पाई है. यह यूरोप का सबसे बड़ा प्लांट है. फिलहाल इस पर रूस ने कब्जा कर लिया है. अमेरिका ने प्रस्ताव दिया है कि इस प्लांट को यूक्रेन, अमेरिका और रूस मिलकर चलाएं, लेकिन यूक्रेन चाहता है कि इसका संचालन अमेरिका और यूक्रेन 50-50 साझेदारी में करें और रूस को इससे बाहर रखा जाए.
अब आगे क्या होगा?
यूक्रेन और अमेरिका के बीच सहमति बनने के बाद इस 20 सूत्रीय शांति समझौते को रूस के पास भेजा गया है. वह इस पर अपनी रजामंदी दे देगा तो तुरंत सीजफायर लागू हो जाएगा. हालांकि समझौते को पूरी तरह लागू करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी.













