अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने तीन ऐसे ताजा कदम उठाए हैं, जिनका असर वहां आने वाले प्रवासियों पर पड़ेगा. एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी जैसे कदमों के बाद ये नया ट्रिपल अटैक है, जिसका असर भारतीयों पर भी पड़ सकता है. इसमें वर्क परमिट के अपनेआप नवीनीकरण और यूनिवर्सिटी में एच-1बी वीजा में कमी के संकेत शामिल हैं.
प्रवासियों की तादाद सीमित करने की मांग
अमेरिकी उप राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके देश में वैध तरीके से प्रवेश करने वालों लोगों की संख्या में भी अंकुश की वकालत की है. मिसीसिपी यूनिवर्सिटी के टर्निंग प्वाइंट इंवेट में वेंस ने ये बात कही. वेंस ने कहा कि वैध अप्रवासियों की तय तादाद से हमारे द्वारा मंजूर की जा रही संख्या बहुत कम है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की आव्रजन नीतियों की आलोचना की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसने बहुत से लोगों को देश में आने दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डाल दिया.
वेंस ने कहा, जब ऐसा कुछ होता है तो आपको अपने समाज को थोड़ा एकजुट होने देना होगा, एक साझा पहचान की भावना विकसित करनी होगी, ताकि सभी नए लोग, जो यहीं रहने वाले हैं , अमेरिकी संस्कृति में घुल-मिल सकें, जब तक आप ऐसा नहीं करते, तब तक और ज्यादा अप्रवासियों के बारे में सोचा नहीं जा सकता.
वर्क परमिट का ऑटो रिन्युअल नहीं होगा
ट्रंप प्रशासन ने अप्रवासियों को एक और झटका दिया है. ट्रंप सरकार ने अमेरिका में काम करने की इजाजत देने वाले वर्क परमिट के ऑटो रिन्युअल (खुदबखुद नवीनीकरण) का सिस्टम खत्म कर दिया है. अब वर्क परमिट मंजूरी की दोबारा स्वीकृति से पहले प्रवासियों की नए सिरे से स्क्रीनिंग और जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा.
यूनिवर्सिटी एच-1बी वीजा का इस्तेमाल न करें- गवर्नर डिसैंटिस
फ्लोरिडा गवर्नर रोन डिसैंटिस ने स्टेट यूनिवर्सिटी से एच-1बी वीजा प्रोग्राम के जरिये अंतरराष्ट्रीय कामगारों को नौकरी दिए जाने की प्रक्रिया रोकने को कहा है. फ्लोरिडा की सरकारी यूनिवर्सिटी में अभी एच-1बी वीजा के तहत करीब 400 विदेशी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि योग्य अमेरिकियों की जगह यूनिवर्सिटी एच-1बी वीजा के तहत विदेशियों की भर्ती कर रही हैं. एच-1वीजा का लाभ उठाने वाले 70 फीसदी से ज्यादा भारतीय होते हैं.














