ट्रंप के टैरिफ को सहें या अपने किसानों की खेती बचाए, भारत के लिए क्यों फंचा पेंच?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से सभी देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने जा रहे हैं.

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भारत को अपने कृषि सेक्टर को अमेरिकी टैरिफ से बचाना पड़ेगा

अमेरिका के एक फैसले से दुनिया के बाकी देशों के साथ-साथ भारत की पेशानी पर भी बल पड़ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से सभी देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने जा रहे हैं. भारत अपने कृषि क्षेत्र को अमेरिकी कंपनियों से बचाने के लिए वहां से होने वाले कृषि उत्पादों के आयात पर बड़ा टैरिफ लगाता है. अब अमेरिका ने कहा है कि आप जितना टैरिफ लगाओगे, हम भी जवाब में उतना ही लगाएंगे. भारत भले दूसरे सेक्टर में अपने टैरिफ को कम करके अमेरिका के जवाबी टैरिफ से बच जाए लेकिन जब 70 करोड़ भारतीय आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हों, उस सेक्टर में अमेरिका के रियायत देना बहुत मुश्किल है. चलिए हम बताते हैं कि अमेरिका कृषि सेक्टर में भारत के लगाए टैरिफ से नाराज क्यों है और भारत इतना उंचा टैरिफ लगाता क्यों है? यह सब जानने से पहले आपको यह समझना होगा कि टैरिफ काम कैसे करता है. 

दरअसल टैरिफ अपने देश के बिजनेस को बचाने का एक तरीका होता है. मान लीजिए सरकार चाहती है कि भारत में अनाज उगाने वाले किसानों या कंपनियों को किसी अमेरिकी अनाज उगाने वाली कंपनियों से प्रतिस्पर्धा न करना पड़े. इसके लिए वह अमेरिका से आयात होने वाले अनाजों पर अलग से एक टैक्स लगा देती है जिसे टैरिफ कहते हैं. इस टैरिफ की वजह से अमेरिका से आने वाले अनाज की कीमन बढ़ जाएगी और उसकी तुलना में भारत के किसानों का अनाज सस्ता होगा. जो सस्ता होगा वहीं भारत के मार्केट में बिकेगा. इस तरह सरकार टैरिफ की मदद से भारत के किसानों को बढ़ावा देती है. अब ट्रंप इसी बात से नाराज हैं.

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एनालिसिस के अनुसार भारत में अमेरिका से आने वाले कृषि उत्पादों पर भारत की सरकार औसत रूप से 37.7% का टैरिफ लगाती है. वहीं अमेरिका में जाने वाले कृषि पर वर्तमान में केवल 5.3% टैरिफ लगाया जाता है. यानी भारत 32.4% अधिक टैरिफ लगा रहा है. अमेरिका राष्ट्रपति को यही बात नागवार गुजर रही है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में डेयरी उत्पादों पर औसत आयात शुल्क यानी भारत की ओर से लगाए जाने वाला टैरिफ 68.8% है, जबकि अमेरिका केवल 16.1% टैरिफ लगाता है. फलों और सब्जियों पर अमेरिका औसतन 5.4% टैरिफ लेता है, जबकि भारत में 103.4% टैरिफ लगाता है. इस वजह से अधिकांश अमेरिकी कृषि उत्पाद भारत के मार्केट में बहुत महंगे हो जाते हैं, उनकी खरीददारी बहुत कम होती है. अब ट्रंप कह रहे हैं कि हम भी आपके बराबर का टैरिफ लगाएंगे. भारत दूसरे सेक्टर में तो अपने टैरिफ कम कराकर ट्रंप के गुस्से को शांत भी कर सकता है, लेकिन कृषि ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत अमेरिका को कोई ढ़ील नहीं दे सकता.

भारत कृषि क्षेत्र में समझौता क्यों नहीं कर सकता?

भारत की अपनी मजबूरी है. भारत अमेरिका से किसी तरह के सस्ते कृषि आयात का झटके नहीं सह सकता. वहज है कि लगभग 70 करोड़ भारतीय अपनी आजीविका के लिए खेती-किसानी पर निर्भर हैं- यह खुद अमेरिका की जनसंख्या से दोगुने हैं. भारत के किसान बहुत छोटी-छोटी भूमि को जोतते हैं और उनकी उत्पादकता कम है. जबकि अमेरिका के किसानों के साथ ऐसा नहीं है. भारत का कृषक परिवार आम तौर पर गरीब है, जबकि अमेरिकी कृषक परिवार औसत अमेरिकी परिवार की तुलना में औसतन अधिक कमाते हैं. ऐसे में अगर दोनों के उत्पादों के लिए भारत में लेवल-फिल्ड बनाया जाएगा, भारत के किसानों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा तो भारत का किसान मार्केट में टिक ही नहीं पाएगा.

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