Trump Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया. इसके बाद से दुनिया भर के शेयर मार्केट में खलबली मच गई. ट्रंप ने देशों पर सबसे कम 10 प्रतिशत और अधिकतम 49 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है. भारत से अमेरिका निर्यात होने वाले सामानों और सेवाओं पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लादा गया है. ऐसे में सबकी जुबान पर यही सवाल है कि भारत पर इसका क्या असर होगा? क्या भारत में यह आपदा एक अवसर में बदल सकती है? एनडीटीवी से बात करते हुए इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य सुनील जैन ने कहा कि ट्रंप का टैरिफ असल में भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. उन्होंने इसके पीछे चीन वाला फैक्टर बताया.
Q: क्या चीन अभी अमेरिका को जवाब दे सकता है?
सुनील जैन: "चीन इस पोजिशन में नहीं है कि वो अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर करे. इसकी वजह है कि चीन की अर्थव्यवस्था मूल रूप से सामानों और सेवाओं के निर्यात पर निर्भर है. चीन अमेरिका को 600 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. इस वजह से चीन अभी अमेरिका के साथ कोई ट्रेड वॉर झेल नहीं सकता. यहां यह भी ख्याल रखें कि अगर चीन ने जवाबी कार्रवाई की तो जितना नुकसान चीन को होगा, उतना ही अमेरिका को भी होगा, क्योंकि अमेरिका चीनी वस्तुओं पर बहुत निर्भर है."
"वॉलमार्ट का बयान पहले ही आ चुका है कि उसका 70 प्रतिशत माल चीन से मंगाया जा रहा है और टैरिफ लगने से उनकी बिक्री पर बहुत असर पड़ेगा. अब देखना है कि अमेरिका टैरिफ लगाने की वजह से आने वाली महंगाई को कैसे झेलेगा. अमेरिका सभी फैक्ट्रियों को अपने यहां लाना चाहता है लेकिन ऐसा करने में 12 से 18 महीने लगेंगे. क्या आप उस वक्त तक इतने उच्च टैरिफ पर विदेशों से सामान मंगाते रहेंगे. जो महंगाई होगी उससे ब्याज दरें बढ़ जाएंगीं. इसका असर क्या होगा, यह अभी कहना मुश्किल है."
Q: क्या यह भारत के लिए आपदा में अवसर है?
सुनील जैन: "चीन पर जो कुल टैरिफ लगे हैं वो भारत से 20 प्रतिशत अधिक हैं. ऐसे में आज की वक्त में भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है. भारत की सरकार को अभी यह करना चाहिए कि वह अपने खुद के मार्केट को खुला छोड़े, नियमों को आसान करे और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दे. अगर ऐसा होता है तो हम बहुत अच्छी स्थिति में होंगे. अगर भारत सितंबर तक, जैसा कि बात चल रही है, अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर साइन कर लेता है तो हमारी स्थिति और मजबूत हो जाएगी."
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