अमेरिका अनमोल ‘रत्न’ पाने को समुद्र में गोते मारने निकला, ट्रंप का आदेश पर्यावरण के लिए खतरा क्यों?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय जल में रेयर अर्थ मेटल्स के लिए अमेरिकी गहरे समुद्र में खनन का विस्तार करने के लिए गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं.

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका रेयर अर्थ मेटल्स यानी दुर्लभ पृथ्वी खनिजों को खोजने के लिए समुद्र में गहराई तक डुबकी मारने को तैयार है. पर्यावरण समूहों की चेतावनियों को खारिज करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय जल में रेयर अर्थ मेटल्स के लिए अमेरिकी गहरे समुद्र में खनन का विस्तार करने के लिए गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए.

व्हाइट हाउस के पक्षकारों का कहना है कि इस पहल से अमेरिका एक अरब मीट्रिक टन से अधिक गहरे समुद्र के नॉड्यूल्स (ऐसे गोले जिसमें मेटल्स होते हैं) को इकट्ठा कर सकता है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश कर सकता है.

तेजी से बढ़ते गहरे समुद्र उद्योग के लिए जमीनी नियम निर्धारित करने के लिए एक दशक लंबे अंतरराष्ट्रीय प्रयास चल रहे हैं. और उसके बीच ट्रंप ने समुद्र में खोज को फास्ट ट्रैक पर ला दिया है.

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अमेरिका ने यह फैसला क्यों लिया?

अमेरिका से बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच बीजिंग ने कई महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (रेयर अर्थ मेटल्स), धातुओं और मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दी है. चीन का यह कदम अपने आप में बड़ा है क्योंकि दुनियाभर में जितने भी रेयर अर्थ मेटल्स निकलते हैं उनमें से 90% फिल्ड चीन के अंदर ही है. यानी चीन का उनपर लगभग एकाधिकार ही है. अब आप पूछ सकते हैं कि अगर चीन ने रेयर अर्थ मेटल्स नहीं दिया तो ऐसा क्या कहर टूट जाएगा. यहां आपको यह बता दें कि आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में रेयर अर्थ मेटल्स ऐसा फैक्टर है जिससे कंट्रोल अपने हाथ में बनाया रखा जा सकता है. दरअसल हथियारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, गाड़ी बनाने से लेकर एयरोस्पेस बनाने तक, सेमीकंडक्टर बनाने से और उपभोक्ता वस्तुओं बनाने तक, हर जगह रेयर अर्थ की कंपोनेंट हैं, अहम हैं. 

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गौरतलब है कि कमर्शियल रूप से गहरे समुद्र में खनन अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन रेयर अर्थ मेटल्स के लिए वैश्विक दौड़ चल रही है. खास बात है कि इस उद्योग पर चीन का प्रभुत्व है. अब ऐसा प्रतीत होता है कि वाशिंगटन अपनी रक्षा, एडवांस मैन्युफैक्चरिंग और ऊर्जा उद्योगों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार करने के लिए तैयार है.

ट्रंप के दिए आदेश के तहत, अमेरिका के वाणिज्य सचिव के पास "राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्री खनिज खोज की लाइसेंस और वाणिज्यिक पुनर्प्राप्ति परमिट की समीक्षा करने और उसे जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए" 60 दिन हैं.

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गहरे समुद्र में खनन नीति को बढ़ावा देने का उद्देश्य आंशिक रूप से "समुद्री खनिज संसाधनों पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सहयोगियों और उद्योग के साथ साझेदारी को मजबूत करना" है.

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पर्यावरण पर खतरा क्यों माना जा रहा?

इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) इस कोशिश में है कि एक रूमबुक तैयार किया जाए ताकि अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय क्षति की चेतावनियों और आर्थिक क्षमता को बढ़ाने की कोशिशों को संतुलित किया जा सके. खास बात है कि संयुक्त राष्ट्र से जुड़े इस निकाय का अमेरिका सदस्य नहीं है.

पिछले हफ्ते अमेरिकी फर्म इम्पॉसिबल मेटल्स ने कहा था कि उसने अमेरिकी अधिकारियों से दूर-दराज के अमेरिकी क्षेत्र अमेरिकी समोआ के आसपास प्रशांत महासागर के एक पार्सल में "पट्टे की प्रक्रिया शुरू करने" के लिए कहा था.

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने ट्रंप के आदेश पर हस्ताक्षर करने से कुछ समय पहले मीडिया से कहा कि अमेरिका समुद्र में इस खनन से एक अरब मीट्रिक टन से अधिक मेटेरियल्स प्राप्त कर सकता है, और यह प्रक्रिया लगभग 100,000 नौकरियां पैदा कर सकती है और 10 वर्षों में घरेलू सकल घरेलू उत्पाद में 300 अरब डॉलर उत्पन्न कर सकती है.

कई देश गहरे समुद्र में खनन की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिसे उद्योगों और हरित ऊर्जा में स्वीच करने के लिए संभावित वरदान के रूप में देखा जाता है. लेकिन पर्यावरण समूहों ने चेतावनी दी है कि इस प्रक्रिया से बड़ी पारिस्थितिक क्षति हो सकती है.

सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डायवर्सिटी के एक वरिष्ठ वकील एमिली जेफर्स ने एक बयान में कहा, "गहरे समुद्र में तेजी से खनन एक पर्यावरणीय आपदा है.. ट्रम्प पृथ्वी के सबसे नाजुक और कम समझे जाने वाले पारिस्थितिक तंत्रों में से एक को लापरवाह औद्योगिक शोषण के लिए खोलने की कोशिश कर रहे हैं."

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