अमेरिकी राष्ट्रपति ने गाजा में समुद्री रास्ते से राहत सामग्री भेजने का ऐलान किया, कई चुनौतियां

समुद्री रास्ते से छोटी खेप जल्द गाजा भेजी जा सकती है लेकिन बड़ी खेप भेजने के लिए बड़े स्तर पर तालमेल की जरूरत होगी.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की है कि गाजा में राहत पहुंचाने के लिए अस्थायी पोर्ट बनाया जाएगा. यह एक अहम घोषणा है जिसकी चर्चा पहले से चल रही थी लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसे लागू करने में कई हफ्तों का वक्त लग सकता है. समुद्री रास्ते से छोटी खेप जल्द गाजा भेजी जा सकती है लेकिन बड़ी खेप भेजने के लिए बड़े स्तर पर तालमेल की जरूरत होगी. 

यह भी कहा जा रहा है कि एक बार को-ऑर्डिनेटेड प्लान बन जाने के बाद 45 से 60 दिन लग सकते हैं. इस अभियान का नेतृत्व अमेरिकी सेना करेगी, जिससे जाहिर होता है कि अमेरिका के इस अभियान में कई और देश भी शामिल हो सकते हैं. हालांकि इसके बारे में अधिक जानकारी अभी नहीं दी गई है. कहा जा रहा है कि संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे देश इस अभियान को लेकर साइप्रस के संपर्क में हैं. 

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक जहाजों से राहत सामग्री गाजा भेजने के लिए साइप्रस के लारनाका बंदरगाह का इस्तेमाल किया जाएगा. इस बंदरगाह पर ऐसे आधुनिक स्क्रीनिंग उपकरण लगे हैं जिससे इजरायल ये आसानी से जांच सकता है कि जहाजों पर मदद सामग्री के तौर पर क्या भेजा जा रहा है. साइप्रस से गाजा की दूरी 230 समुद्री मील है. मेडिटेरिनियन कॉरिडोर के जरिए राहत सामग्री गाजा के तट तक पहुंचा भी दी जाए तो भी उसके ऑफलोडिंग, उसकी सुरक्षा और वितरण जैसी कई चुनौतियां हैं. 

Advertisement

जहाजों से राहत सामग्री कैसे उतारी जाएगी, यह बड़ा सवाल है. गाजा एक एक्टिव वार जोन है और यहां राहत सामग्री लेकर जाने वाले एड-वर्कर्स की जान को खतरा हो सकता है. दूसरी चुनौती यह है कि भूख से बेहाल गाजा में राहत सामग्री के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाती है. गाजा तट पर भी ऐसी समस्या होगी. भारी भीड़ से अफरातफरी मचती है. 

Advertisement

हाल ही में इजरायल के केरम शलोम चेक पोस्ट से उत्तरी गाजा जा रही राहत सामग्री को भूख से बेहाल लोगों ने रास्ते में ही रोक कर लेने की कोशिश की. इजरायल ने दावा किया कि भीड़ ने राहत कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे सैनिकों पर हमला कर दिया जिसके बाद फायरिंग करनी पड़ी. जबकि हमास का कहना है कि राहत सामग्री के लिए जमा लोगों पर फायरिंग की जिसमें 100 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए. गाजा में बदतर हो चुकी हालत का यह एक उदाहरण है. 

Advertisement

अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इजरायल गाजा के तट से राहत सामग्री की सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और राहत को जरूरतमंदों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से कहा जा रहा है कि उसकी योजना गाजा में अपनी फौज को उतारने की बिल्कुल भी नहीं है. वह अपने सैन्य जहाजों और सैनिकों का इस्तेमाल गाजा के तटीय क्षेत्र तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए तो करेगा लेकिन अपनी सेना को गाजा की जमीन पर नहीं उतारेगा. राहत बांटने के काम के लिए भी नहीं. ऐसे में राहत बांटने का दारोमदार यूएन की एजेंसी और दूसरी गैर सरकारी एजेंसियों पर होगा, लेकिन वे भी इतनी इफेक्टिव तरीके से कर पाती हैं, यह भी देखना होगा. 

Advertisement

इजरायल के हमले झेल रहे गाजा की आबादी 23 लाख है. पांच महीने से जारी युद्ध की वजह से यहां खाने पीने से लेकर दवा, पीने के साफ पानी जैसी मूलभूत जरूरत की चीजों की भारी किल्लत है. यूएन बार-बार यहां भुखमरी की चेतावनी दे चुका है. मौजूदा समय में लैंड रूट से जो मदद सामग्री पहुंच रही है वह काफी नहीं है. इजिप्ट के राफाह और इजरायल के केरेम शलोम बार्डर के जरिए राहत सामग्री भेजी जा रही है. इसके अलावा उत्तरी गाजा में राहत सामग्री जल्दी पहुंचे इसके लिए इजरायल से एक और लैंड रूट खोलने पर सहमति बनने की जानकारी आई है. यह इरेज चेकपोस्ट हो सकता है जो उत्तरी गाजा के लगने वाला चेक पोस्ट है.

खाने पीने की चीजों की भारी किल्लत को देखते हुए राहत सामग्री को एयर ड्रॉप भी किया गया है लेकिन यह सब नाकाफी है. इसलिए अब अस्थायी पोर्ट के जरिए राहत सामग्री भेजने की योजना बनाई गई है. यह भी कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव की वजह से भारी दबाव में हैं इसलिए उन्होंने ऐसा ऐलान कर दिया है. जिस तरह से उन्होंने इजरायल-गाजा युद्ध को हैंडल किया है उससे अमेरिका में जबर्दस्त नाराजगी है और बाइडेन उससे पार पाना चाहते हैं. खैर इस ऐलान का राजनीतिक पहलू अलग लेकिन इसे अमली जामा पहनाना बहुत ही चुनौती भरा है. अब देखना यह है कि यह कब तक हो पाता है.

Featured Video Of The Day
PM Modi Guyana Visit: Sudhanshu Trivedi के निशाने पर कौन है?
Topics mentioned in this article