- अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति लाई है जिसमें कहा गया कि रूस को प्रत्यक्ष खतरा नहीं माना जाएगा
- नई रणनीति में यूरोप को सभ्यतागत विनाश का सामना करते हुए कमजोर शक्ति के रूप में चिन्हित किया गया है
- रूसी सरकार ने अमेरिकी रणनीति के बदलाव का स्वागत किया और इसके तहत बेहतर सहयोग की उम्मीद जताई है
दुनिया की राजनीति में एक बड़ा टर्न देखने को मिला है. अमेरिका ने अपनी विदेश नीति को 180 डिग्री बदल दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति लेकर आए हैं जिसके अनुसार अब अमेरिका रूस को प्रत्यक्ष खतरा नहीं मानेगा. इस नई रणनीति में अमेरिका ने यह भी स्वीकार किया है कि यूरोपीय शक्तियां कमजोर हो रही हैं. अब यह बात रूस को भला क्यों न पसंद आती. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने ट्रंप की इस नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का स्वागत किया है.
ट्रंप की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में क्या है?
अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में ट्रंप के दृष्टिकोण को "लचीले यथार्थवाद" बताया गया है. इसमें तर्क दिया गया है कि अमेरिका को 19वीं सदी के मोनरो सिद्धांत को पुनर्जीवित करना चाहिए, जिसने पश्चिमी गोलार्ध को वाशिंगटन के प्रभाव क्षेत्र के रूप में घोषित किया था. ट्रंप ने इस नई रणनीति पर मुहर भी लगा दी है. इसमें मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं:
- अमेरिका रूस के साथ रणनीतिक स्थिरता को फिर से स्थापित करना चाहता था.
- इसमें चेतावनी दी गई कि यूरोप को "सभ्यतागत विनाश" का सामना करना पड़ रहा है.
- यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए बातचीत करना "मुख्य" अमेरिकी हित था.
2025 के लिए अमेरिका की यह राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति चीन के साथ प्रतिस्पर्धा, गठबंधन को मजबूत करने और एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने पर जोर देती है. अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत को एक केंद्रीय भागीदार के रूप में मानता है. पिछले दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों का रक्षा, प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों तक विस्तार हुआ है.
पुतिन को पसंद आई ट्रंप की रणनीति
रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने नई अमेरिकी रणनीति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम "जो बदलाव देख रहे हैं वह कई मायनों में हमारे दृष्टिकोण से मेल खाता है... वहां से टकराव के खिलाफ और बातचीत और अच्छे संबंध बनाने के पक्ष में बयान आए हैं.'' उन्होंने कहा कि रूस को उम्मीद है कि इससे ''यूक्रेनी समझौते पर वाशिंगटन के साथ और रचनात्मक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा."
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