अमेरिका ने बना लिया 'समंदर का शैतान', राज खुला तो दुनिया हैरान, जानिए क्या है 'मंता रे'

मंता रे को डिफेंस कॉन्‍ट्रेक्‍टर नॉथ्रोप ग्रुम्‍मन ने डिजाइन किया है. यह अमेरिकी नौसेना के पानी के नीचे लंबी दूरी के हथियार बनाने की योजना का अहम हिस्‍सा है.

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नई दिल्‍ली :

अमेरिकी नौसेना (US Navy) की मानवरहित पनडुब्‍बी मंता रे (Manta Ray) की इन दिनों जबरदस्‍त चर्चा है. कारण है कि बेहद खुफिया रहने वाली इस तरह की विशाल पनडुब्‍बी गूगल मैप पर नजर आई, जिसे लेकर इंटरनेट यूजर्स के आश्‍चर्य का ठिकाना ही नहीं रहा. प्रोटोटाइप पनडुब्‍बी कैलिफोर्निया के पोर्ट ह्यूनेमी नौसैनिक अड्डे पर मौजूद थी, जिसे बाद में एक सामान्‍य जहाज से बदल दिया गया. इसके बाद इंटरनेट यूजर्स के बीच सुरक्षा चूक को लेकर बहस छिड़ गई. वहीं अब लोग 'मंता रे' के बारे में जानना चाहते हैं. साथ ही लोग जानना चाहते हैं कि आखिर मंता रे गूगल मैप पर कैसे नजर आई, यह कोई साजिश थी या फिर जानबूझकर ऐसा किया गया है. मंता रे ने अपना पहला समुद्री टेस्‍ट इसी साल पास किया था और इसके बाद से इसके कई अन्‍य परीक्षण किए जा रहे हैं. 

अमेरिकी सेना अंडरवाटर ड्रोन विकसित करने में जुटी है, जिसे मंता रे नाम दिया गया है. मंता रे की खास बात ये है कि यह टारपीडो,माइन या छोटी पनडुब्‍बी की तरह काम कर सकता है. यह एक सबमरीन ड्रोन है जो कि लंबे समय तक बिना रिफ्यूलिंग के पानी के अंदर रह सकता है. साथ ही इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जिनके जरिए समु्द्र के अंतर खतरे को पहचाना जा सकता है. इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह अलग-अलग साइज के कई पेलोड्स एक साथ ले जा सकता है. साथ ही इसके कई हिस्‍सों को अलग किया जा सकता है और उन्‍हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और दूसरी जगह पर इन्‍हें जोड़कर फिर से काम में लाया जा सकता है. 

मंता रे को डिफेंस कॉन्‍ट्रेक्‍टर नॉथ्रोप ग्रुम्‍मन ने डिजाइन किया है. यह अमेरिकी नौसेना के पानी के नीचे लंबी दूरी के हथियार बनाने की योजना का अहम हिस्‍सा है. इसके परीक्षण किए जा रहे हैं और इसे सेवा में शामिल किया जाना अभी बाकी है. 

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पेंटागन की अनुसंधान शाखा डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (Defense Advanced Research Projects Agency) ने कहा है कि पांच साल पुराने मंता रे कार्यकम का उद्देश्‍य लंबी अवधि, लंबी दूरी और पेलोड-सक्षम यूयूवी की एक नई श्रेणी का निर्माण करना है, जो दुनिया के विभिन्न समुद्री वातावरणों में काम कर सके. 

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पिछले दिनों सामने आई थी मंता रे की तस्‍वीरें 

पिछले दिनों मंता रे की तस्‍वीरें सामने आई थीं, जिसमें उसे एक सपोर्ट बोट के नजदीक दिखाया गया था. वहीं एक अन्‍य तस्‍वीर में इस पर खड़े कुछ लोगों को दिखाया गया था, जिसे देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वास्‍तव में यह ड्रोन कितना बड़ा है. इसे लेकर DARPA की ओर से कहा गया कि बड़े आकार के बावजूद इसे आसानी से दूसरी जगह पर भेजा और निकाला जा सकता है. 

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डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) के मंटा रे कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. काइल वोर्नर के मुताबिक, यह ड्रोन "पानी के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए कुशल, उछाल-संचालित ग्लाइडिंग" का उपयोग करता है. 

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अमेरिका ही नहीं, अन्‍य देशों के पास भी ऐसे ड्रोन 

अमेरिका पहला ऐसा देश नहीं है, जिसके पास समुद्री ड्रोन है. उसके दुश्‍मनों और दोस्‍तों के पास ऐसे ड्रोन मौजूद हैं. खासकर चीन और रूस ऐसे ड्रोन न सिर्फ खरीद रहे हैं बल्कि उनके निर्माण में भी जुटे हैं. 

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी नौसेना का इस तरह की ड्रोन तकनीक विकसित करने के पीछे रूस और चीन के पनडुब्बी अभियानों का मुकाबला करना है. 

आखिर इसका नाम मंता रे क्‍यों पड़ा? 

आपके मन में यह सवाल भी जरूर उठ रहा होगा कि 'मंता रे' ही नाम क्‍यों रखा गया. दरअसल मंता रे एक विशाल मछली होती है. यह भी काफी भारी भरकम और बहुत बड़ा है, शायद यही कारण है कि यूयूवी की नई श्रेणी का नाम मंता रे रखा गया है. 
 

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