- क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक वाशिंगटन में आयोजित हुई.
- साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और दोषियों को सजा दिलाने का आश्वासन दिया गया
- साउथ चाइना सी में चीन की गतिविधियों की निंदा की गई
- क्वाड सदस्य देशों ने हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और सहयोग पर जोर दिया
अमेरिका के वाशिंगटन में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हो चुकी है. बैठक के बाद क्वाड के चारों सदस्य देश, अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया, जापान की तरफ से एक साझा बयान भी जारी किया गया है. इस बयान में कई अहम बातें हैं. साउथ चाइना सी में जिस तरह से चीन की तरफ से हरकत की जा रही है बिना चीन का नाम लिए उसकी निंदा की गई है. हिंद प्रशांत क्षेत्र के समुद्री रास्तों की सामूहिक सुरक्षा के साथ साथ क्वाड सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग, इमर्जिंग टेक्नोलॉजी और आपातकाल में मानवीय सहयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. एक बहुत ही अहम बात ये है कि इसमें पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है.
पहलगाम हमले का जिक्र
क्वाड बैठक से निकले नतीजों पर एनडीटीवी ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मार्गेट मैकलियोड से बातचीत की. माग्रेट का कहना है कि क्वाड साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले पर कठोर रुख से साफ है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका हमेशा भारत के साथ है और रहेगा. पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिलाने में अमेरिका सहयोग को तैयार है. साझा बयान में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से भी इस बात की अपील की गई है. जाहिर है कि अमेरिका समेत क्वाड के सभी सदस्य देशों ने पहलगाम आतंकी हमले को काफी गंभीरता से लिया है.
फिर मुनीर के साथ लंच क्यों
ये पूछे जाने पर कि एक तरफ अमेरिका आतंकवाद के ख़िलाफ भारत का साथ देने की बात करता है तो दूसरी तरफ पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड पाकिस्तानी सेना प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लंच के लिए बुलाते हैं. अब मुनीर खुले तौर पर कश्मीर में आतंकवाद को आजादी की लड़ाई की बात कह रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का पाकिस्तान सेना प्रमुख मुनीर के साथ लंच एक अलग विषय है. भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर इसका कोई असर नहीं. आतंकवाद के खात्मे के लिए अमेरिका अपनी कूटनीतिक भूमिका निभाने को तैयार है.
क्वाड से क्यों है चीन को चिढ़
चीन क्वाड ग्रुपिंग को अपने खिलाफ मानता है और वो साउथ चाइना सी में अपना दबदबा, अपनी मनमर्जी चाहता है. जाहिर है ये क्वाड सदस्य देशों के साथ साथ दुनिया के किसी भी देश के हित की बात नहीं है. दूसरी तरफ ट्रेड और टैरिफ की तनातनी के बीच भी अमेरिका चीन से आर्थिक सहयोग के लिए बाट जोहता भी नजर आ रहा है. अमेरिकी रुख के इस विरोधाभास पर मार्गेट का कहना है कि अमेरिका अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रख कर ही फैसले कर रहा है. वो चीन के साथ मौके भी तलाश रहा है लेकिन हिंद प्रशांत क्षेत्र में आपत्तिजनक हरकतें उसे मान्य नहीं है.
भारत में होना है क्वाड सम्मेलन
राष्ट्रपति ट्रंप अपनी बात मनवाने के लिए हर देश को टैरिफ लगाने की धमकी देते हैं तो फिर साउथ चाइना सी में चीन की हरकतों के खिलाफ टैरिफ लगाने की धमकी क्यों नहीं देते? इस सवाल के जवाब में मार्गेट ने कहा कि टैरिफ अपने व्यापारिक हितों को सामने रख टैक्स लगाने की बात करता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने उम्मीद जतायी कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही बहुत अच्छा व्यापार समझौता हो जाएगा. इस साल भारत में होने वाले क्वाड सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हिस्सा लेने से जुड़े सवाल पर मार्गेट ने कहा कि अमेरिकी नेतृत्व को भारत में क्वाड शिखर वार्ता के पूरी तरह कामयाब होने की उम्मीद है.