- अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार समझौते के तहत यूरोपीय वस्तुओं पर अमेरिका में 15% टैरिफ लागू होगा.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच स्कॉटलैंड में वार्ता हुई.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने सभी देशों के लिए एक अगस्त तक अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने की डेडलाइन तय की है.
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने के बीच व्यापार समझौता हो गया है. स्कॉटलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच वार्ता हुई. इसके बाद इस व्यापार समझौते का ऐलान किया गया जिसके अनुसार अब अमेरिका में आ रहे यूरोपीय संघ के सभी सामानों पर 15% अमेरिकी टैरिफ लगाया जाएगा.
रविवार, 27 जुलाई को दोनों ने उस समझौते पर सहमति जताई जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रान्साटलांटिक टैरिफ गतिरोध को खत्म करने के लिए "अब तक की सबसे बड़ी" डील बताया है. अगर यह डील नहीं होती तो दोनों के बीच एक पूर्ण व्यापार युद्ध शुरू होने का खतरा था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सभी देशों के लिए अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने के लिए 1 अगस्त तक की डेडलाइन तय कर दी है. अगर यूरोपीय संघ उससे पहले यह डील नहीं करता तो यूरोपीय वस्तुओं पर 30 प्रतिशत का टैरिफ लगता.
नोट: यूरोपीय संघ (EU) यूरोप के 27 देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है. यह सदस्य देशों के बीच सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देता है.
समझौते के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "हम एक समझौते पर पहुंच गए हैं. यह हर किसी के लिए अच्छा सौदा है. यह संभवत: किसी भी क्षमता में अब तक का सबसे बड़ा समझौता है." ट्रंप ने कहा कि 15 प्रतिशत टैरिफ यूरोप के महत्वपूर्ण ऑटोमोबाइल क्षेत्र, फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर सहित पूरे बोर्ड पर लागू होगा.
क्या घाटे में रहेगी EU?
पहली नजर में तो अमेरिका के अंदर सभी यूरोपीय वस्तुओं पर डील के बाद 15 प्रतिशत टैरिफ लगना पहले से मौजूद अमेरिकी टैरिफ से काफी अधिक दिखाई देता है, जो औसतन 4.8 प्रतिशत के आसपास है. लेकिन अगर ध्यान से देखें तो बहुत कुछ नहीं बदला है क्योंकि अमेरिका के अंदर यूरोपीय कंपनियों को वर्तमान में 10 प्रतिशत की अतिरिक्त टैक्स का सामना करना पड़ रहा है. तो पहले भी लगभग 15 प्रतिशत का ही टैरिफ देना पड़ रहा था.
गौरतलब है कि ट्रंप ने दुनिया के साथ अमेरिकी व्यापार को नया स्वरूप देने के लिए एक अभियान शुरू किया है, और 1 अगस्त तक वाशिंगटन के साथ समझौता नहीं करने पर दर्जनों देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने की कसम खाई है. भारत भी अमेरिका के साथ जोरों-सोरों से वार्ता में लगा है और उम्मीद है कि 1 अगस्त की समयसीमा से पहले ही दोनों देशों के बीच एक अंतरिम डील हो जाएगी.