अमेरिका ने कथित तौर पर रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे का समर्थन करने के आरोप में भारत की 15 कंपनियों सहित 275 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया है. अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि रूस को लेटेस्ट टेक्नीक और उपकरण की आपूर्ति करने के लिए चीन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और तुर्किये की कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. ये वो कंपनियां हैं, जिनकी रूस को अपनी युद्ध मशीनरी का समर्थन करने के लिए सख्त जरूरत है.
अमेरिका द्वारा बयान में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर चोरी-छिपे चलाए जा रहे नेटवर्क को रोकने के अलावा, यह कार्रवाई घरेलू रूसी आयातकों और रूस के मिलिट्री इंडस्ट्री बेस के लिए प्रमुख इनपुट और अन्य सामग्री देने वाली कंपनियों के खिलाफ भी है. दरअसल, अमेरिका किसी भी ऐसी कंपनी के साथ व्यापार नहीं करना चाहता, जो किसी भी तरह से रूस के रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को मदद पहुंचा रही है.
अमेरिकी ट्रेजरी के उप सचिव वैली एडेइमो ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका और हमारे सहयोगी महत्वपूर्ण उपकरणों और टेक्नोलॉजी की चैन को तोड़ने के लिए दुनिया भर में निर्णायकों पर कार्रवाई करना जारी रखेंगे, जिनकी रूस को यूक्रेन के खिलाफ अवैध और अनैतिक युद्ध छेड़ने के लिए जरूरत है." एडेइमो ने कहा, "जैसा कि आज की कार्रवाई से पता चलता है, हम रूस की युद्ध मशीनरी को लैस करने की क्षमता को कम करने और हमारे प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों की चोरी या हेराफेरी के माध्यम से उनके प्रयासों में सहायता करने वालों को रोकने के अपने संकल्प पर अडिग हैं."
अमेरिकी विदेश विभाग ने तीसरे पक्ष के कई देशों में प्रतिबंधों से बचने और धोखाधड़ी को भी निशाना बनाया है. इनमें चीन स्थित कई कंपनियां शामिल हैं जो दोहरे उपयोग वाले सामान का निर्यात करती हैं जो रूस के सैन्य-औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में सहयोग देती हैं. अमेरिका ने रूसी रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों और रक्षा कंपनियों तथा रूस के भविष्य के ऊर्जा उत्पादन और निर्यात का समर्थन करने वाली कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं.
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