Ukraine पर 'कब्जे में' Russia के लिए Chernobyl परमाणु Plant कैसे बना अहम मोहरा? 10 बड़ी बातें

यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस (Russia) ने चेर्नोबिल परमाणु पावर प्लांट (Chernobyl nuclear power plant) पर कब्ज़ा कर लिया है.

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Russia ने किया Ukraine के Chernobyl nuclear power plant पर कब्ज़ा

रूस (Russia) की सेना ने यूक्रेन (Ukraine) के चेर्नोबिल परमाणु पावर प्लांट (Chernobyl nuclear power plant) पर कब्ज़ा कर लिया है. रूसी सेना ने इस पावर प्लांट पर तब कब्ज़ा किया जब यूक्रेनी सेनाएं गुरुवार को रूस के तीन तरफ से किए गए आक्रमण जवाब दे रही थीं. रूस ने यूक्रेन पर ज़मीन, समुद्र और हवा से हमला किया था.

समचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ये हैं इस बड़ी खबर की 10 बड़ी बातें:- 

  • रूस(Russia) की सेनाएं बेलारूस (Belarus) में सैन्य अभ्यास कर रहीं थीं. बेलारूस से यूक्रेन की राजधानी कीव से लिए चेर्नोबिन साइट (Chernobyl Site) सबसे छोटा रास्ता है. इसलिए यूक्रेन पर हमला (Attack on Ukriane) बोलते हुए रूसी सेनाओं ने ज़ाहिर तौर पर इस रास्ते का प्रयोग किया. 
  • पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने अपने दोस्त देश बेलारूस के ज़रिए अपनी थलसेना को कीव पहुंचाने के लिए सबसे तेज रास्ते का प्रयोग किया.
  • कार्नेजी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक टैंक (Carnegie Endowment for International Peace think tank) के जेम्स एक्टन कहते हैं,"इस रास्ते के ज़रिए एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर सबसे तेज़ गति से पहुंचा जा सकता है."
  • अमेरिकी सेना के पूर्व अध्यक्ष जैक कीन ने कहा, " चेर्नोबिल का कोई सैन्य महत्व नहीं है लेकिन रूस ने इसे यूक्रेन की सरकार को सत्ता से  बेदखल करने के लिए रणनीति के तौर पर प्रयोग किया. "
  • चेर्नोबिल एक योजना का हिस्सा का हिस्सा था.और यूक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि उसे गुरुवार को रूसी सेना ने कब्ज़े में ले लिया था.  हालांकि एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि अमेरिका इसकी पुष्टि नहीं कर सकता.
  • चेर्नोबिल का चौथा रिएक्टर यूक्रेन की राजधानी कीव से 108 किलोमीटर दूर है. अप्रैल 1986 में एक असफल सुरक्षा टेस्ट के दौरान इसमें धमाका हो गया था और इसका रेडिएशन यूरोप के कई हिस्सों और अमेरिका के पूर्वी इलाकों तक पहुंच गया था. 
  • रेडियोएक्टिव स्ट्रोंटियम (strontium), केसियम (caesium) और प्लूटोनियम (plutonium) से खास तौर से यूक्रेन और बेलारूस प्रभावित हुए थे और रूस और यूरोप के कुछ हिस्सों पर भी इसका प्रभाव पड़ा था.  इस दुर्घटना के सीधे या अपरोक्ष प्रभाव से करीब कुछ हजारों लोगों की मौत हुई थी और पूरी दुनिया में इसके असर से 93,000 लोग कैंसर से मारे गए थे.
  • सोवियत संघ के अधिकारियों ने पहले इस दुर्घटना को छिपाना चाहा और तुरंत धमाके को स्वीकार नहीं किया. इससे सुधारवादी सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव(Mikhail Gorbachev) की छवि धूमिल हुई थी. इससे सोवियत संस्थानों में पारदर्शिता और समाज में खुलापन बढ़ाने वाली उनकी ग्लासनॉट्स  ("glasnost") नीति पर सवाल खड़े हो गए थे.
  • चेर्नोबिल की त्रासदी को छिपाने के लिए और आसपास के पर्यावरण को रेडिएशन से बचाने के लिए धमाके वाले रिएक्टर को एक "पत्थर के ताबूत" जैसे ढांचे से ढंकने की कोशिश हुई जिसे 6 महीने में बनाया गया.  2016 में पुराने पथरीले कवर के उपर एक और "नई परत से उसे सुरक्षित" करने की कोशिश हुई.
  • संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानीकर्ता ने यूक्रेन के परमाणु रेगुलेटर के हवाले से कहा कि यूक्रेन के चार परमाणु पावर प्लांट सुरक्षा से चल रहे हैं और चेर्नोबिल के कचरे और दूसरी सुविधाओं का कोई "विनाश" नहीं हुआ है. 
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