रूस (Russia) और अमेरिका (US) के बीच यूक्रेन (Ukraine) को लेकर तनाव चरम पर है. जैसे ही बीते दिन रूस ने यूक्रेन के अलगाववादी प्रांतों 'दोनेत्स्क' और 'लुहांस्क' को दो अलग देशों, "लुहांस्क पीपल्स रिपब्लिक" (Luhansk People's Republic) और "दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक" (Donetsk People's Republic) के तौर पर मान्यता दी और अपनी सेनाओं को इन इलाकों में कथित शांति की स्थापना के लिए जाने का आदेश दिया वैसे ही रूस पर ताबड़तोड़ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध (International Sanctions) लगने शुरू हो गए. आज के अपने एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि रूस पर अब तक किस देश ने क्या प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन सबसे पहले आपको पूर्व सोवियत देश यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क इलाके के बारे में बताते जिन्हें लेकर पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में ये पूरा बवाल हो रहा है.
कहां हैं दोनेत्स्क और लुहांस्क?
दोनेत्स्क और लुहांस्क इलाके यूक्रेन की उत्तर- पूर्वी सीमा पर हैं जो रूस से लगती है. इन इलाकों में बड़ी संख्या में रूसी भाषी और रूसी मूल के लोग रहते हैं. साल 2014 में जब क्रीमिया में रूस समर्थक अलगाववादियों का विद्रोह तेज हुआ तो इन दोनों क्षेत्रों पर भी यानि दोनेत्स्क और लुहांस्क पर भी रूस समर्थित विद्रोहियों का कब्जा हो गया था और 2014 से ही इन क्षेत्रों ने अपने को यूक्रेन से अलग घोषित कर दिया था. 2014 में हुए इस विद्रोह में हजारों की संख्या में लोग मारे गए. खूब हिंसा हुई और इस हिंसा को रोकने के लिए एक मिंस्क समझौता किया गया.
इसके अनुसार यूक्रेन की सेना और विद्रोहियों के बीच लाइन ऑफ कॉन्टैक्ट बनाई गई. दोनेत्स्क और लुहांस्क को मिला कर इस पूरे इलाके को डोनबास कहा जाता है. 2014 से इन इलाकों में जारी संघर्ष में अब तक 14,000 लोगों की मौत हो चुकी है.
यूक्रेन यूरोप का दूसरा बड़ा देश है जो पहले पूर्व सोवियत देश है. अब रूस की सीमा से लगते दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्र रूस समर्थक अलगाववादियों के कब्जे में हैं और इन इलाकों के पश्चिम की ओर यूक्रेन के नियंत्रण वाला इलाका और इस बफर ज़ोन है.
रूस ने इन दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्र को मान्यता देने से पहले क्या किया था?
यूक्रेन के चारों ओर रूस ने अपनी करीब 1,90,000 सेनाएं तैनात कर दी थीं. सेटेलाइट तस्वीरों में दिखा कि बेलारुस के साथ युद्धाभ्यास के दौरान रूस ने यूक्रेन के नज़दीक अपने टैंक, हथियार और सैन्य दस्ते तैनात किए. फिर रूस ने अब यूक्रेन की सीमा से करीब 20 किलोमीटर दूर छावनी और फील्ड अस्पताल बना दिए.
रूस ने रखी थीं 'असंभव सी शर्तें'
अमेरिका और पश्चिमी देश लंबे समय से कह रहे हैं कि रूस यूक्रेन पर आक्रमण की तैयारी कर रहा है. लेकिन रूस इन आरोपों से इंकार करता है. यूक्रेन की सीमा से अपनी सेनाएं वापस ले जाने के लिए रूस ने मुख्यतौर पर दो शर्तें रखीं थीं. पहला- यह गारंटी दी जाए कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा और नाटो पूर्वी यूरोप या कहें कि सोवियत संघ के प्रभाव वाले इलाकों से अपनी तैनाती पीछी हटा ले.
लेकिन रूस की ये मांगे मानने से अमेरिका और नाटो ने इंकार कर दिया ना ही यूक्रेन अपनी नाटो में शामिल होने की महत्वकांक्षा से पीछे हटा. और इसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यह बड़ा फैसला लिया. अब तो पुतिन ने रूस की संसद से भी यह मंजूरी ले ली है कि यूक्रेन के इन कथित दो नए देशों डोनेट्स्क और लुहांस्क की मदद के लिए वह सीमा से बाहर बल का प्रयोग कर सकते हैं. रूस के इस फैसले के बाद ब्रिटेन की तरफ से सबसे पहले प्रतिबंधों की घोषणा आई.
ब्रिटेन ने लगाए प्रतिबंध
ब्रिटेन (UK) ने देर ना करते हुए रूस के पांच बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. जिन बैंको पर प्रतिबंध लगाया गया है वे हैं रोसिया बैंक (Rossiya bank) , आईएस बैंक (IS Bank) , जेनेरल बैंक (General Bank) , प्रोमस्वाज़ बैंक (Promsvyazbank) और ब्लैक सी बैंक (Black Sea Bank) . इसके अलावा तीन रूस के अमीर शख़्सियतों की संपत्ति की भी फ़्रीज़ किए जाने का ऐलान किया है.
कनाडा ने लगाए प्रतिबंध
कनाडा ने भी रूस की तरफ से दो अलग देश घोषित किए गए लुहान्स्क औरदोनेत्स्क के साथ किसी भी तरह के वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी है है. कनाडाई लोगों को रूस से ऋण लेने और दो नए समर्थित राज्यों के रूसी बैंकों के साथ व्यवहार करने पर भी रोक लगा दी गई है. कनाडा ने उन रूसी सांसदों पर भी प्रतिबंध का ऐलान किया है, जिन्होंने यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र मान्यता देने के पक्ष में मतदान किया था.
अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध
इधर अमेरिका की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की.
जो बाइडेन ने कहा, "हम रूस के दो बड़े वित्तीय संस्थानों पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणाकरते हैं. ये हैं VEB और उनका मिलिट्री बैंक." बाइडेन ने आगे कहा कि रूस अब पश्चिमी देशों से पैसा नहीं जुटा सकेगा और ना ही नए कर्ज लेकर हमारे बाजार या यूरोपीय बाजार में व्यापार कर सकेगा. पुतिन पर लगभग भड़कते हुए जो बाइडेन के कहा कि पुतिन को यह अधिकार किसने दिया कि वो अपने पड़ोसी देशों की सीमा पर कथित नए देश घोषित कर दें?"
अपनी टिप्पणीं में बाइडेन ने आगे कहा, "हम रूस के कुलीनों और उनके परिवारों के सदस्यों पर भी प्रतिबंधों की घोषणा करते हैं. रूसी संसद की राजनीति से उन्हें भ्रष्ट फायदे होते हैं और उन्हें भी यह दर्द साझा करना होगा."
राष्ट्रपति बाइडेन यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, " हमने जर्मनी के साथ बात कर यह सुनिश्चित किया है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2.... आगे नहीं बढ़ेगी."
जर्मनी ने लगाए प्रतिबंध
वहीं जर्मनी की तरफ से भी कहा गया है कि फिलहाल वो रूस की $11 billion डॉलर की लागत से बनी नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइप लाइन को को स्थगति कर रहे हैं.
नॉर्ड स्ट्रीम 2 रूस से यूरोप को समुद्र के रास्ते आने वाली वो बड़ी गैस पाइपलाइन है जिससे रूस यूरोप के बाजार में अपनी गैस बेचना चाहता था. इस परियोजना के रुकने के बाद यूरोप में गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं.
रूस अभी भी बेअसर
लेकिन इन सभी प्रतिबंधों से लगता है कि रूसी राष्ट्रपति के कान पर ज़रा भी जूं नहीं रेंग रही है. रूस ने अब पुतिन की निगरानी में रणनीतिक नेताओं का परमाणु अभ्यास भी शुरू कर दिया है.
रूस की तरफ से जानकारी दी गई है कि रूस से ताजा सैन्य अभ्यास में युद्धपोतों,पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों से मिसाइलें दागी जाएंगी और ज़मीन से भी समुद्र और ज़मीन के निशानों को भेदा जाएगा.
यूक्रेन संकट के हल के लिए कूटनीतिक रास्ते बंद या खुले?
इस सबके बीच यूक्रेन संकट के कूटनीति हल के रास्ते बंद होते जा रहे हैं. यूक्रेन पर कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए 24 फरवरी को यूरोप में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, फ्रांस के विदश मंत्री जीन-येविस ले ड्रियन और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की एक मीटिंग होनी थी जिसे ब्लिंकेन ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि अब इस बैठक करने का कोई मतलब नहीं है.
राजनेता सुनेंगे अंतरात्मा की आवाज?
एक तरफ रूस दूसरे देशों से अपील कर रहा है कि वो भी रूस की तरह दोनेत्स्क और लुहांस्क को मान्यता दें तो दूसरी ओर अमेरिका की तरफ से रूस को सजा देने के लिए ‘रूस की अर्थव्यवस्था पर कड़ा प्रहार किए जाने, या कहें कि रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत हो रही है. युद्ध की बढ़ी आशंकाओं के बीच पोप फ्रांसिस ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के खतरे से उनके दिल को ठेस पहुंची है और उन्होंने सभी राजनेताओं से अपील की है कि वो कोई भी कदम उठाने से पहले ईश्वर के सामने अपनी अंतरात्मा की आवाज की आवाज़ पर ग़ौर करें. लेकिन बड़ी बात ये है कि अब जब ये आवाजें तेज़ हो गईं हैं कि यूक्रेन पर रूस का हमला शुरू हो चुका है.... यूरोपीय देशों, अमेरिका और रूस को यूक्रेन के मामले में कोई भी अगला कदम उठाने से पहले अपने नागरिकों के प्रति ज़िम्मेदारी भी तय करनी होगी.