Video: Ukraine की महिला का छलका दर्द, NDTV से कहा, "पति युद्ध में शामिल होने गए हैं"

Ukraine Crisis: "बच्चे बहुत डरे हुए हैं. हमारे पति युद्ध के लिए गए हैं, ताकि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित किया जा सके. हमारे खूबसूत शहरों को तबाह किया जा रहा है. बच्चे यह सब देख कर तनाव में हैं. उन्हें पता भी नहीं है कि क्या हुआ."- यूक्रेन की महिला

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Russia Ukraine War: कई यूक्रेनी परिवार युद्ध के दौरान शरणार्थी बन गए हैं.

यूक्रेन (Ukraine) में रूस (Russia) के हमले ने लाखों लोगों की ज़िंदगी पर असर डाला है. पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन में हज़ारों लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. NDTV ने यूक्रेन के लवीव में शरणार्थी बने कुछ परिवारों से बात की. इन्हीं में से परिवार जेपोरिजजिया परमाणु पावर प्लांट के पास से आया था जहां रूसी सेना ने हमला किया था.  शरणार्थियों में गर्भवति महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. इन्हें इस बात का ख़ौफ़ है कि अगर युद्ध लंबा चलता है तो क्या होगा. 

NDTV से पश्चिमी यूक्रेन के शहर लवीव में शरणार्थी बनीं तातियाना ने कहा," हम हर घंटे हवाई हमले का सायरन सुनते हैं. हम बंकर में छिपे हुए थे और बाहर से धमाकों की आवाज़ आ रही थी. हम बहुत डर गए थे."

NDTV से बात करते हुए एक दूसरी महिला नाडिया के आंसू निकल पड़े. उन्होंने कहा, "हम लवीव में रहना चाहते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि युद्ध जल्द ही खत्म हो जाएगा." बात करते हुए उनका बच्चा उनकी गोद में रो रहा था.  

नाडिया ने आगे कहा, " बच्चे बहुत डरे हुए हैं. हमारे पति युद्ध के लिए गए हैं, ताकि महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित किया जा सके. हमारे खूबसूत शहरों को तबाह किया जा रहा है. बच्चे यह सब देख कर तनाव में हैं. उन्हें पता भी नहीं है कि क्या हुआ."

रूस के 24 फरवरी को आक्रमण शुरू करने से पहले ही, यूक्रेन रूस के साथ युद्ध के लिए अपने नागरिकों और ख़ासकर युवा आदमियों को तैयार कर रहा था ताकि रूसी सेना को आगे बढ़ने से रोका जा सके. 

तातियाना ने कहा, " हमारे पति सीमा पर नहीं गए क्योंकि वो सेना को भोजन जैसी सप्लाई में मदद कर रहे हैं. यह देख कर अच्छा लगता है कि आज सभी यूक्रेनी एकजुट हैं. यह प्रेरणा देता है."

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जिस कमरे में इस यूक्रेनी परिवार से बात हो रही थी वहां बाहर की कड़क ठंड से बचाव के लिए गर्म चादर ज़मीन पर बिछी हुई थी. 

लवीव के बाहरी इलाके में जहां यह महिलाएं रह रहीं हैं वहां, रोमन कैथलिक चर्च के फादर ग्रिगोरी जॉन पॉल-2  भी रह रहे हैं. उन्होंने बताया, " रूस के हमले के पहले दिन यहां करीब 150 लोग आए थे, फिर अगले दिन 300 आए. वो यहां दो दिन रहे और फिर पोलैंड चले गए. जाते समय उन्होंने कहा कि उन्हें केवल यूक्रेन के बाहर ही सुरक्षित महसूस होगा."  

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फादर ग्रेगरी ने कहा, " लोग इतनी ठंड में बाहर ट्रेन ट्रैक पर सोए, क्योंकि बमबारी खत्म ही नहीं हो रही थी. यहां इलाके में करीब 60 बच्चे हैं. यहां तक पहुंचने पर उन्होंने जो युद्ध और मौत का नज़ारा देखा, उससे उन्हें धक्का लगा है." 

यूक्रेन ने आज रूस का रूस और बेलारूस की तरफ को मानवीय मदद गलियारा खोलने का प्रस्ताव खारिज कर दिया. यूक्रेन की डिप्टी प्राइम मिनिस्टर इरयांका वेरेशचुक ने कहा," नागरिक बेलारूस जाएंगे और फिर रूस के लिए विमान लेंगे, ऐसा नहीं हो सकता. यह स्वीकार्य नहीं है."

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