ब्रिटेन के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने कहा कि है कि उन्हें बचपन में नस्लवाद (Racism) को महसूस किया और उनके माता-पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा, ताकि वह अन्य बच्चों की तरह ‘अच्छी तरह से बोल' सकें. वर्ष 2022 में सुनक ने इतिहास रच दिया, जब दिवाली के दिन सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता चुने जाने के बाद महाराजा चार्ल्स तृतीय ने उन्हें भारतीय मूल के पहले व्यक्ति के रूप में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री नियुक्त किया. हिंदू धर्म के अनुयायी 43 वर्षीय सुनक 210 वर्षों में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं. वह ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले हिंदू प्रधानमंत्री भी हैं.
‘आईटीवी न्यूज' से बातचीत में सुनक ने बताया कि उनके माता-पिता इसके प्रति दृढ़ थे कि उन्हें और अन्य बच्चों के अनुरूप ढलना चाहिए और अच्छी तरह बोलना चाहिए. सुनक ने कहा कि इसके लिए उनके माता-पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा न होना कठिन है, ठीक है, और जाहिर तौर पर मैंने एक बच्चे के रूप में नस्लवाद का अनुभव किया है.'' सुनक ने अपने छोटे भाई-बहनों के लिए अपशब्द सुनने के दर्द को भी याद किया. उन्होंने कहा कि नस्लवाद ‘चुभता' है और उस तरह से पीड़ा पहुंचाता है, जो अन्य चीजें नहीं पहुंचातीं.
भारतीय विरासत पर भी बोले सुनक
सुनक ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्होंने जो कुछ अनुभव किया वह अब उनके बच्चों के साथ नहीं होगा. अपनी भारतीय विरासत पर चर्चा करते हुए सुनक ने कहा कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वह और उनके भाई-बहन (एक भाई और बहन) अन्य लोगों के अनुरूप ढलें.
नस्लवाद का कोई भी रूप अस्वीकार्य : सुनक
उन्होंने आगे कहा कि उनकी मां इस बात को लेकर विशेष रूप से सचेत थीं कि उनके बच्चे कैसे बोलते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मां जिन चीजों को लेकर बहुत ज्यादा जुनूनी थीं, उनमें से एक यह थी कि वह उच्चारण पर जोर दिये बिना ठीक से बातचीत कर सकें. सुनक ने कहा कि नस्लवाद का कोई भी रूप पूरी तरह से अस्वीकार्य है.
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