ट्विटर (Twitter) के एक पूर्व सुरक्षा अधिकारी ने आरोप लगाया है कि इस सोशल मीडिया नेटवर्क (Social Media Network) ने डेटा सुरक्षा नियमों (Data Security Rules) में ढ़ील दी. अमेरिका (US) में इससे कानून बनाने वालों और साइबर एक्सपर्ट्स (Cyber Experts) के बीच चिंता है कि इस कथित कमजोरी के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) को खतरा हो सकता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस व्हिसिलब्लोअर (Whistleblower)और ट्विटर के पूर्व सुरक्षा चीफ पीटर जाटको (Peiter Zatko) ने अमेरिकी अधिकारियों से शिकायत की है कि ट्विटर की "बड़ी कमियों" के कारण सोशल मीडिया कंपनी हमलावरों को नहीं रोक पाएगी.
इस साल की शुरुआत में ट्विटर ने खराब प्रदर्शन के चलते जाटको को निकाल दिया था. जाटको के एक दावे में कहा गया है कि कंपनी पुराने सॉफ्टवेयर पर भरोसा कर रही है और अधिकारी यह समझने में नाकाम हैं कि कर्मचारियों के पास यूजर अकाउंट का कितना एक्सेस है. इसके अलावा जाटको ने कहा है कि ट्विटर के ज़रिए विदेशी सरकारें जासूसी कर सकती हैं और कुछ कर्मचारी शायद सरकारी खुफिया एजेंसियों से काम कर रहे हैं.
न्यूयॉर्क के एक रिपब्लिकन नेता ने एक बयान में कहा, " यह आरोप, राष्ट्रीय सुरक्षा, निजता और चुनाव सुरक्षा पर गंभीर असर डाल सकते हैं और हमें इसकी गंभीर जांच करनी चाहिए."
जाटको का सबसे सनसनीखेज दावा यह रहा कि कंपनी के आधे से अधिक कर्मचारियों के पास ट्विटर का डीप एक्सेस है. इससे ट्विटर कर्मचारी को साइट को मैनिपुलेट करने या फिर बिना किसी शक के यूजर की जानकारी निकाने का मौका मिल सकता है.
जो बाइडेन की राष्ट्रपति पद के लिए कैंपेन में साइबर सिक्योरिटी स्टाफ के तौर पर काम कर चुक जैकी सिंह कहते हैं, "अगर जाटको का आरोप सच है कि ट्विटर के पास साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी घटनाओं को रोकने या पहचानने के लिए कोई तंत्र नहीं है तो ट्विटर अमेरिका के लिए इतना बड़ा खतरा बन सकता है जितना टिकटॉक कभी नहीं बन सकता."
आगे उन्होंने कहा, " यह हजारों लोकतंत्र समर्थकों को चेतावनी देने वाला होना चाहिए जो ट्विटर पर हमें जानकारी देने और जोड़े रखने के लिए भरोसा करते हैं."
जाटको की शिकायत के अनुसार, ट्विटर ने जानते-बूझते एक भारत सरकार के एजेंट्स की तैनाती की जिसके पास ट्विटर के संवेदनशील डेटा तक बिना रोक-टोक पहुंच थी. इसके अलावा जाटको के अनुसार, कंपनी ने अपनी पारदर्शिता रिपोर्ट को गलत तरीके से प्रस्तुत किया कि उसे पता था कि भारत सरकार का प्रतिनिधि उसके अपने पे-रोल पर था.
यह आरोप उस घटना के दो हफ्ते बाद आए हैं जब एक अमेरिकी कोर्ट ने एक पूर्व ट्विटर कर्मचारी को साउदी अरब के लिए जासूसी करने का दोषी पाया. यह व्यक्ति बिना सही नाम के उन प्रोफाइल्स की निजी जानकारी इकठ्ठा करने का काम करता था जो सऊदी अरब के शासन और शाही परिवार की आलोचना करते थे.