- डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में सात महीनों में सात युद्धों को समाप्त करने का दावा किया.
- ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने और ईरान-इजरायल संघर्ष खत्म करने में अपनी भूमिका का श्रेय लिया.
- ट्रंप ने कहा कि इन युद्धों को खत्म करने में संयुक्त राष्ट्र से कोई मदद नहीं मिली और उसकी क्षमता कम है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)को संबोधित किया. दोबारा सत्ता में आने के बाद यह इस संगठन में उनका पहला संबोधन था. अपने संबोधन में ट्रंप ने कई बाताों का जिक्र किया और इनमें एक था सात महीने, सात युद्धों को खत्म करने का श्रेय लेना. ट्रंप ने इस दौरान ईरान-इजरायल युद्ध को खत्म करने के साथ ही भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोकने का श्रेय भी लिया. ट्रंप ने सात युद्धों को खत्म करने के अपने दावे को तो दोहराया ही साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र की आलोचना भी की. उन्होंने कहा कि इन युद्धों को खत्म करने में उन्हें यूएन से कोई मदद नहीं मिली. ट्रंप ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र अपनी क्षमता के अनुरूप काम करने के करीब भी नहीं पहुंच रहा है.'
'मैंने रुकवाया युद्ध'
ट्रंप ने मंगलवार को फिर कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका था. यूएनजीए के 80वें सत्र के लिए इकट्ठा वर्ल्ड लीडर्स के सामने संयुक्त राष्ट्र के मंच से अपने इस दावे को दोहराया. उन्होंने कहा, 'सिर्फ सात महीनों में, मैंने सात ऐसे युद्धों का खत्म किया जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.' उन्होंने आगे कहा, 'ये अकल्पनीय हैं और कुछ तो 31 साल से चल रहे थे. उनमें से दो, 31, 31 साल तक चले. एक 36 साल का था, एक 28 साल का था,' ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र के मंच से विश्व नेताओं को अपने पहले संबोधन में कहा.
सात युद्धों को खत्म करने वाले ट्रंप
ट्रंप ने कहा, 'मैंने सात युद्ध खत्म किए और सभी मामलों में, वो भयंकर थे, जिनमें अनगिनत हजारों लोग मारे गए थे. इसमें कंबोडिया और थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, एक क्रूर, हिंसक युद्ध, पाकिस्तान और भारत, इजरायल और ईरान, मिस्र और इथियोपिया, और आर्मेनिया और अजरबैजान शामिल हैं.' 10 मई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि वाशिंगटन की मध्यस्थता में हुई 'रात भर लंबी' बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान 'पूर्ण और तत्काल' युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. तब से उन्होंने करीब 50 बार यह दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को 'खत्म' करने में मदद की है.
भारत ने हर बार खारिज किया दावा
जबकि भारत ने लगातार किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इनकार किया है. भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. भारत और पाकिस्तान चार दिनों तक सीमा पार ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद 10 मई को संघर्ष समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे थे. भारत ने हर बार ट्रंप के दावे को खारिज किया है.
पीएम मोदी ने साफ की स्थिति
भारत की तरफ से हर बार यही कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ दिन बाद संघर्ष खत्म करने पर सहमति डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में साफ कर दिया है कि किसी भी देश के नेता ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ युद्धविराम कराने में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं था.