नौकरी के नाम पर रूस ले गए, वहां सेना में करा दिया भर्ती, यूक्रेन युद्ध में हुए जख्मी तो हुआ खुलासा

एक युवक के पिता ने कहा कि कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से कम से कम 10 से 12 भारतीयों को इस तरह से धोखा दिया गया है और उनमें से एक जो कश्मीर से है, वो पैर में गोली लगने से घायल भी हो गया है.

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नई दिल्ली:

सिक्योरिटी गार्ड में नौकरी के बदले अच्छी सैलरी दिलाने का झांसा देकर भारत के विभिन्न हिस्सों से कई युवाओं को रूस भेजा गया है. खबर है कि इनमें से कम से कम 10 युवाओं को रूसी सैनिक बनाकर यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए झोंक दिया गया है. अब अपनी जान जोखिम में डालकर ये लोग एक ऐसे देश के लिए युद्ध लड़ने के लिए मजबूर हैं, जिसके वो नागरिक भी नहीं हैं. इन युवाओं को न केवल नौकरी के नाम पर धोखा दिया गया, बल्कि जिस एजेंट ने उन्हें रूस भेजा था, उसने सभी से ₹​​3-3 लाख रुपये भी वसूल लिए.

माना जा रहा है कि ये लोग भाड़े के संगठन की ओर से, वैगनर ग्रुप के हिस्से के रूप में यूक्रेन से लड़ रहे हैं. भारत में अब इनके परिजनों ने विदेश मंत्रालय (एमईए) से उन्हें देश लौटने में मदद करने की अपील की है. इसी तरह की अपील एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी की है और कर्नाटक के एक मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार इन लोगों को वापस लाने के बारे में विदेश मंत्रालय से बात करेगी.

युवाओं के परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को कहा कि उनमें से एक, हैदराबाद के सैयद इलियास ने रूस से एक वीडियो भेजकर अपने माता-पिता को बताया है कि उसे और कई अन्य लोगों को एजेंट द्वारा धोखा दिया गया था. वीडियो में इलियास ने कहा कि उन्होंने युद्ध लड़ने के लिए करार नहीं किया है और अपने परिवार से भारत वापस लाने का अनुरोध किया है.

एक युवक के पिता ने कहा कि कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से कम से कम 10 से 12 भारतीयों को इस तरह से धोखा दिया गया है और उनमें से एक जो कश्मीर से है, वो पैर में गोली लगने से घायल भी हो गया है.

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नईम के पिता ने कहा, "मेरा बेटा, अब्दुल नईम और उसके तीन दोस्त दुबई में काम करते थे. वे बाबा नामक एक एजेंट के संपर्क में आए, जिसने उन्हें रूस में अच्छे वेतन वाली सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी देने का वादा किया और उन सभी से 3-3 लाख रुपये लिए. उन्हें फिर वापस भारत लाया गया और फिर 16 दिसंबर को रूस भेज दिया गया. उन्हें रूसी भाषा में एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. एजेंट ने उन्हें बताया कि ये सुरक्षित है."

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परिजनों ने कहा, "कम से कम 10-12 युवकों को इस तरह से धोखा दिया गया है. मेरा बेटा और बाकी सभी लोग वापस आना चाहते हैं. हमें रूसी सरकार या उनकी सेना से कोई शिकायत नहीं है, हम उनसे हमारे बेटों को वापस भेजने का अनुरोध कर रहे हैं. मैं भारत सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील करता हूं."

पिता ने कहा कि वो अपने बेटे के संपर्क में हैं, जिसे अब उसके तीन दोस्तों से अलग रखा जा रहा है. उन्होंने कहा, "उन्हें विमानों से दूर-दराज के स्थानों पर ले जाया जा रहा है. कश्मीर के एक व्यक्ति के पैर में गोली भी लगी है."

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'विदेश मंत्रालय से बात करेंगे'
वहीं इस मुद्दे पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा, "जिला प्रशासन ने राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय को अलर्ट कर दिया है. हम विदेश मंत्रालय से बात करेंगे और युद्ध लड़ रहे युवाओं को वापस लाने की पूरी कोशिश करेंगे. न केवल कर्नाटक के पुरुषों को, बल्कि उन सभी को, जिन्हें धोखा दिया गया है."

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एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखा है और युवकों को भारत वापस लाने में उनकी मदद मांगी है. सांसद ने कहा है कि तेलंगाना के तीन सहित कम से कम एक दर्जन भारतीयों को एजेंट ने धोखा दिया है और युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर किया है.

यूपी के कासगंज के एक युवा को भी हेल्पर की नौकरी के बहाने एजेंट रूस ले गया और आर्मी में भर्ती करा दिया. युवक बाबा ब्लॉक यूट्यूब चैनल के माध्यम से एजेंटों के सपंर्क में आया था. पिता और पुत्र ने एजेटों द्वारा मांगे तीन लाख रुपये के लिए बैंक से कर्ज भी लिया था. वो 11 नवंबर 2023 को कस्बा से दिल्ली-चेन्नई-साजदा होते हुए मॉस्को पहुंचा था. ये हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर के एक अन्य युवक के साथ भेजा गया था.

युवक के पिता के अनुसार हेल्पर की नौकरी करने गए उनके बेटे से रसियन भाषा में एक अनुबंध कराया गया. फिर वहां से रेगिस्तान इलाके में मौजूद सेना के बेस कैम्प में भेजा गया. सेना में हथियारों की ट्रेनिंग देकर उन्हें यूक्रेन-रूस बोर्डर पर तैनात कर दिया गया. वहीं आनाकानी करने पर उनके पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिए गए. लगभग ढाई महीने बाद लड़ाई में घायल होने के बाद अस्पताल पहुंचे युवक ने अपने स्वजनों से सम्पर्क किया.

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