- माली में अलकायदा से जुड़े समूह ने तीन भारतीय नागरिकों का अपहरण किया है.
- अपहृत भारतीयों में ओडिशा के 28 वर्षीय पी. वेंकटरामन शामिल हैं.
- यह घटना 1 जुलाई को डायमंड सीमेंट फैक्ट्री के परिसर में हुई.
- अपहरण का आरोप जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन पर है.
पश्चिम अफ्रीकी देश माली में अलकायदा से जुड़े एक आतंकवादी समूह ने तीन भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लिया है. अपहरण किए गए लोगों में ओडिशा के गंजम जिले के निवासी 28 वर्षीय पी. वेंकटरामन भी शामिल हैं. यह अपहरण 1 जुलाई को पश्चिमी माली के कायेस में डायमंड सीमेंट फैक्ट्री के परिसर से हुआ. इस फैक्ट्री में भारत समेत विदेशी कर्मचारी काम करते हैं. यह अपहरण जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) ने किया है, जो अल-कायदा से जुड़ा एक आतंकवादी समूह है, जिसने हाल के दिनों में माली में कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.
भारत सरकार ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने अपहरण की निंदा की है. विदेश मंत्रालय ने इस कृत्य को "निंदनीय" बताया और माली के अधिकारियों से अपहृत व्यक्तियों की सुरक्षित और शीघ्र रिहाई के लिए "सभी आवश्यक उपाय" करने का आग्रह किया.
शनिवार तक अन्य दो भारतीयों की पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं की गई हैं, लेकिन ओडिशा के सूत्रों ने पुष्टि की है कि वेंकटरमन मुंबई स्थित ब्लू स्टार प्राइवेट लिमिटेड के साथ काम कर रहे थे, जिसने उन्हें डायमंड सीमेंट सुविधा में सेवा देने के लिए माली में नियुक्त किया था. वह लगभग छह महीने से वहां तैनात थे.
अपहरण का कैसे पता चला
वेंकटरमन की विधवा मां पी. नरसम्मा ने शुक्रवार शाम को अपने बेटे से संपर्क टूटने के बाद शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस से संपर्क किया. उन्होंने आखिरी बार 30 जून को उनसे बात की थी. 4 जुलाई को उन्हें ब्लू स्टार के एक अधिकारी का फ़ोन आया, जिसने उन्हें बताया कि वेंकटरमन "पुलिस हिरासत में" हैं और उन्हें चिंता न करने का आश्वासन दिया. बाद में स्थानीय संपर्कों और सोशल मीडिया के ज़रिए परिवार को बताया गया कि आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया है.
पी नरसम्मा ने कहा, "मैं अपने बेटे के भाग्य को लेकर बहुत चिंतित हूं. मैं सरकार से उसकी सुरक्षित रिहाई का अनुरोध करती हूं. पहले उन्होंने कहा कि वह हिरासत में है, अब हम सुनते हैं कि वह कैद में है." जेएनआईएम, जिसने 2017 में अल-कायदा के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी, विद्रोही गतिविधियों में सबसे आगे रहा है. ये अक्सर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों, माली के सैनिकों और विदेशी कर्मियों को निशाना बनाता है.