भारत (India) रूसी तेल (Russian Oil) को भारतीय रुपए (Indian Rupee) में खरीदने पर कोई विचार नहीं कर रहा है. संसद में यह जानकारी दी गई. भारत अपनी कुल तेल खरीद का 1% से भी कम रूस से खरीदता है. लेकिन यूक्रेन पर हमले (Ukraine War) के कारण लगे पश्चिमी प्रतिबंधों (Western Sanctions) की वजह से रूस से रुपए में तेल और गैस (Oil & Gas) खरीदने का मुद्दा उठ रहा है. पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैर राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्य सभा को दिए लिखित जवाब में बताया, " इस समय तेल की सार्वजनिक कंपनियों के पास ऐसा कोई कॉन्ट्रेक्ट नहीं है और ना ही ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है कि रूस से कच्चा तेल भारतीय रुपए में खरीदा जाए."
हालांकि उन्होंने विस्तार से इस बारे में जानकारी नहीं दी. सरकारी तेल कंपनी इंडिया ऑइल कॉर्पोरेशन ने सस्ती कीमत पर रूस से दो जहाज़ के टैंकर बराबर तेल खरीदा है जिससे रुस के तेल क्षेत्र पर आया दबाव कम किया जाए. IOC ने यूरोपीय ट्रेडर वीटॉल के ज़रिए 3 मिलियन बैरल तेल एक खरीद में लिया है.
इसके अलावा, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने एक ट्रेडर के ज़रिए रूस से 2 मिलियन बैरल का कच्चा तेल खरीदा है.
बाजार में मौजूद रूस का सस्ता कच्चा तेल
रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण कई कंपनियां रूसी तेल खरीदने से बच रही हैं. इससे बेहद सस्ती कीमत पर रूस का तेल बाजार में उपलब्ध है.
इस अवसर को भुनाने के लिए भारतीय रिफाइनरीज़ ऐसे सस्ते तेल को खरीदने के लिए टैंडर निकाल रही हैं. यह टैंडर अधिकतर वो ट्रेडर जीतते हैं जिनके पास रूस के कच्चे तेल का भंडार है.
2020 से ही IOC का रूस की रूसनेफ्ट के साथ एक निश्चित कच्चा तेल खरीदने का करार है. लेकिन कंपनी ने इस डील के तहत बेहद कम ही रूस से तेल खरीदा क्योंकि रूस से कच्चे तेल का परिवहन बहुत महंगा पड़ जाता है. लेकिन 20-25 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट की वजह से भारतीय रिफायनरी यह तेल खरीद पा रही हैं.
भारतीय रिफायनरियां रूसी भंडार में मौजूद कच्चा तेल ट्रेडर के ज़रिए इसलिए खरीद रही हैं ताकि प्रतिबंधों की जटिलता से बचा जा सके. सूत्रों का कहना है कि रूस के साथ व्यापार अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अब तक डॉलर में हो रहा है. इसे पश्चिमी प्रतिबंधों से बाहर रखा गया है.
साथ ही, ईरान पर विवादित परमाणु कार्यक्रम के तहत लगाए गए प्रतिबंधों से अलग रूस के साथ तेल और ऊर्जा व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं.