एक नए अध्ययन के अनुसार, विशिष्ट इम्युनोडेफिशिएंसी रोगवाले बच्चों में COVID-19 के कारण मृत्यु का जोखिम अधिक होता है. ये बात जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कही गई है. अध्ययन का नेतृत्व करने वाले करोलिंस्का इंस्टिट्यूट के बायोसाइंसेज एंड न्यूट्रिशन विभाग के प्रोफेसर कियांग पैन-हैमरस्ट्रॉम कहते हैं, SARS-CoV-2 से संक्रमित प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी रोगों वाले बच्चों में मृत्यु दर बहुत अधिक है. हमारे परिणामों से संकेत मिलता है कि गंभीर COVID-19 या multi-inflammatory syndrome (MIS-C) वाले बच्चों में बुनियादी प्रतिरक्षाविज्ञानी परीक्षा और आनुवंशिक विश्लेषण किया जाना चाहिए.
इस अध्ययन में पांच महीने से 19 साल की उम्र के 31 बच्चों को शामिल किया गया था. सभी बच्चों को किसी न किसी प्रकार की प्राथमिक इम्यूनोडिफ़िशिएंसी बीमारी थी और वे गंभीर COVID-19 से पीड़ित थे. प्रतिभागियों को ईरान में अगस्त से सितंबर 2020 तक भर्ती किया गया था. किसी भी बच्चे को COVID-19 का टीका नहीं लगाया गया था.
एक तिहाई से अधिक बच्चों में से ग्यारह, संक्रमण से जटिलताओं के कारण मर गए. पांच बच्चों, 16 प्रतिशत, ने multi-inflammatory syndrome, MIS-C, के मानदंडों को पूरा किया. कुछ बच्चों में कोरोनावायरस के प्रति एंटीबॉडी की कमी थी.
हसन अबोलहसानी, बायोसाइंसेज एंड न्यूट्रिशन विभाग, करोलिंस्का इंस्टिट्यूट में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के पहले लेखक के अनुसार इससे पता चलता है कि इस प्रकार की प्रतिरक्षा बीमारी वाले कई बच्चे एंटीवायरल एंटीबॉडी का उत्पादन नहीं कर सकते हैं और इसलिए टीकाकरण का पूरा लाभ नहीं होगा.
अध्ययन में एक साहित्य समीक्षा भी शामिल है. शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर प्राथमिक इम्यूनोडिफ़िशिएंसी रोग और COVID-19 के लगभग 1,210 रोगियों की रिपोर्ट पाई. इनमें करीब 30 फीसदी बच्चे थे. प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी रोग और COVID-19 वाले बच्चों में मृत्यु दर आठ प्रतिशत से अधिक थी, जबकि सामान्य आबादी के बच्चों में यह लगभग 0.01 प्रतिशत थी.
VIDEO: MMS लीक मामला : मोहाली SP ने NDTV से की बात, बताया - कैसे स्थिति को कर रहे कंट्रोल