दुनिया का सबसे खुशहाल देश प्रवासियों को उसके मुल्क में बसने का दे रहा सुनहरा मौका

Happiest Country Finland : फिनलैंड कामगारों की कमी से जूझ रहा है और वह बड़े पैमाने पर दूसरे देश के प्रवासियों को अपने यहां लाना चाहता है.दुनिया के सबसे खुशहाल देश का तमगा हासिल करने वाले फिनलैंड में जीवनस्तर दूसरे देशों के मुकाबले काफी बेहतर है.

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World's Happiest Country में रोजगार के लिए कुशल कामगारों की कमी
हेलसिंकी:

दुनिया का सबसे खुशहाल देश फिनलैंड (World's Happiest Country Finland) दूसरे देश के प्रवासियों को उसके देश में बसने का न्योता दे रहा है. कोरोना काल में उसकी यह पेशकश प्रवासियों के सुनहरा ख्वाब को पूरा कर सकती है. दरअसल, फिनलैंड कामगारों की कमी से जूझ रहा है और वह बड़े पैमाने पर दूसरे देश के प्रवासियों को अपने यहां लाना चाहता है.दुनिया के सबसे खुशहाल देश का तमगा हासिल करने वाले फिनलैंड में जीवनस्तर ( Finland Living Standard) दूसरे देशों के मुकाबले काफी बेहतर है.

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फिनलैंड से लोगों के दूसरे देशों में पलायन की बात तो दूर अब वहां कामगारों की भारी कमी महसूस की जा रही है. टैलेंटेड सॉल्यूशंस एजेंसी के रिक्रूटर साकू थिवरैनेन का कहना है कि यह व्यापक तौर पर सही है कि हमें बड़े पैमाने पर लोगों की जरूरत है. देश में तेजी से बूढ़ी होती आबादी की जगह युवा कामगारों की तादाद काफी कम है. ऐसे में दूसरे देशों से कुशल कामगारों की जरूरत महसूस की जा रही है.

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रिक्रूटर एजेंसी ने कहा कि बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के कारण और युवाओं की विलासतापूर्ण जिंदगी को देखते हुए कामगारों की जरूरत है. दुनिया के कई पश्चिमी देश घटती आबादी के कारण ऐसी परेशानियों से जूझ रहे हैं. फिनलैंड जैसे देश भी घटती जन्म दर और युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की ज्यादा तादाद होने से जूझ रहा है. फिनलैंड की 40 फीसदी आबादी की उम्र 65 साल से ऊपर है. जापान के बाद सबसे बड़ी बुजुर्गों की आबादी फिनलैंड में ही है. वर्ष 2030 तक फिनलैंड में बुजुर्गों की संख्या 47.2 फीसदी तक पहुंच सकती है.

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सरकार ने कहा है कि 55 लाख की आबादी वाले इस देश में हर साल 20 से 30 हजार लोगों की जनसेवा में तुरंत जरूरत है. ताकि बुजुर्गों की देखभाल के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. फिनलैंड जीवन की गुणवत्ता, आजादी और लिंग समानता में ऊंचे स्तर पर होने के साथ भ्रष्टाचार, अपराध और जनसंख्या के मामले में निचले स्तर पर है.लेकिन अप्रवासियों के लिए सख्त नीति और बाहरी लोगों को रोजगार के लिए नियुक्त न करने की उसकी परंपरा रही है.

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