ब्रिटेन में कोविड के दौरान सेवाओं के लिए जिस भारतीय का क्वीन ने जताया था आभार, वे अब भुगत रहे निर्वासन

रॉदरहिथ रेजिडेंट्स समूह ने विमल पंड्या के समर्थन में एक ऑनलाइन याचिका पर 1,77,000 से अधिक लोगों के हस्ताक्षर लिए

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
विमल पंड्या ब्रिटेन से निर्वासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
लंदन:

दक्षिण-पूर्व लंदन के एक निवासी समूह ने अपने एक प्रिय सदस्य विमल पंड्या के लिए लड़ने का संकल्प लिया है. पंड्या ने कोविड महामारी के दौरान सेवाएं दी थीं और उनकी ब्रिटेन की दिवंगत रानी की ओर से उनके प्रतिनिधि द्वारा सराहना की गई थी. विमल पंड्या वीजा को लेकर कानूनी लड़ाई हार गए और अब उन्हें भारत में निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है.

रॉदरहिथ रेजिडेंट्स समूह ने विमल पंड्या के समर्थन में एक ऑनलाइन याचिका पर 1,77,000 से अधिक हस्ताक्षर एकत्रित किए हैं. पंड्या स्टूडेंट वीजा पर भारत से ब्रिटेन आए थे, लेकिन विदेशी छात्रों को प्रायोजित करने के लिए अपने शिक्षा संस्थान का लाइसेंस खो देने के बाद उनका वीजा अधर में रह गया था.

42 वर्षीय पंड्या हाल ही में इमिग्रेशन ट्रिब्यूनल में केस हार गए. अब बताया जा रहा है कि वे मामले में आगे लड़ने के लिए अपने वकीलों से बातचीत कर रहे हैं.

रॉदरहिथ रेजिडेंट्स समूह ने पिछले हफ्ते Change.Org याचिका अपडेट की थी. उसमें कहा गया है कि, “हम तबाह हो गए हैं, वह तबाह हो गया है, लेकिन अगर आगे कोई रास्ता मिल सकता है तो हम लड़ाई नहीं छोड़ेंगे.”

रॉदरहिथ रेजिडेंट्स समूह के सदस्य कहते हैं कि, “विमल ने हमेशा दिखाया है कि वह रॉदरहिथ कम्युनिटी की कितनी परवाह करता है, जहां वह 11 साल से रह रहा है. हम में से बहुत से लोगों को वर्षों से उसकी मदद और सपोर्ट मिलता रहा है. यही वजह है कि हम उसके अन्यायपूर्ण निर्वासन को रोकने के लिए लड़ रहे हैं,”

पढ़ाई के लिए साल 2011 में भारत से ब्रिटेन आए पंड्या ने अप्रैल 2014 में अपने एक गंभीर रूप से बीमार रिश्तेदार को वापस अपने माता-पिता के पास ले जाने के लिए स्वदेश लौटने के बाद उनकी वापसी को रोक दिया गया था.

Advertisement

ब्रिटेन के बॉर्डर फोर्स के अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी थी कि जिस कॉलेज में उनका इनरोलमेंट हुआ था, उसने स्पांसरशिप का अधिकार खो दिया. हालांकि न तो कॉलेज ने और न ही होम आफिस ने कथित तौर पर उन्हें इसकी सूचना दी थी.

इसके बाद विमल पंड्या को अपने मूल पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के बिना इस मुद्दे को हल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा. उसके बाद से उन्होंने अपने इमिग्रेशन स्टेटस को रेगुलर करने और अपनी पढ़ाई पूरी करने के प्रयास में हजारों पाउंड खर्च किए. इसके अलावा वे कॉलेज की हजारों पाउंड फीस दे चुके हैं और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है.

Advertisement

उनके समर्थक स्थानीय समूह ने कहा, “अपनी पढ़ाई जारी रखने की इजाजत का इंतजार करते हुए विमल रॉदरहिथ कम्युनिटी का एक अभिन्न अंग बन गया है. अब वह वास्तव में जरूरी है, और हम नहीं चाहते कि वह चला जाए. ”

कोविड महामारी के दौरान पंड्या एक स्थानीय दुकानदार के रूप में सेवाएं दे रहे थे. कहा जाता है कि नेशनल लॉकडाउन के दौरान वे सेल्फ-आइसोलेशन में रहने वालों को नियमित भोजन और जरूरी सामान पहुंचा रहे थे. उन्होने मदद के लिए समर्पण के साथ अथक परिश्रम किया था.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pallavi Patel ने Ashish Patel पर क्या लगाए आरोप? CM Yogi से की ये मांग
Topics mentioned in this article