रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक में एक बार फिर आतंकवाद पर दो टूक अपनी बात रखी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा आज आतकंवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं करेंगे. पहलगाम में आतंकियों ने कायरता पूर्ण घटना को अंजाम दिया था. हमने उसका करारा जवाब दिया. ऑपरेशन सिंदूर ने ये बता दिया कि भारत अब आतंकवाद को उसकी ही जुबान में जवाब देने को तैयार है. पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ और लश्कर ने ली थी. इसलिए हमारी सेना ने उनके ठिकानों को तबाह किया. हम आगे भी ऐसे हमलों को करारा जवाब देने को तैयार हैं.
आतंकवाद और शांति साथ नहीं चल सकते, आतंकवाद से निपटने के लिए कार्रवाई जरूरी है. निर्दोषों का खून बहाने वालों को छोड़ेंगे नहीं. शांति के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है. आतंकवाद पर भारत की नीति जीरो टॉलरेंस की रहेगी. आतंकवाद के गढ़ को किसी हाल नहीं बख्शा जाएगा. पहलगाम में क्रूरतम आतंकी हमला हुआ. आतकंवाद के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई होती रेहगी. 7मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया.
आतंकवाद को खत्म करने के लिए सबको आगे आना चाहिए
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि भारत का मानना है कि रिफॉर्मेड मल्टिलेटरिजम देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाने में मदद कर सकता है. कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता. वास्तव में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा. यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि.
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए क़िंगदाओ में आना मेरे लिए खुशी की बात है. मैं अपने मेजबानों को उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं मैं बेलारूस को एससीओ परिवार में एक नए सदस्य के रूप में शामिल होने पर बधाई देना चाहता हूं हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह एक बड़े बदलाव से गुज़र रही है. वैश्वीकरण, जो कभी हमें एक साथ लाता था, अब अपनी गति खो रहा है. बहुपक्षीय प्रणालियों के कमज़ोर होने से शांति और सुरक्षा बनाए रखने से लेकर महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तक की ज़रूरी चुनौतियों का समाधान करना मुश्किल हो गया है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं. इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में वृद्धि है. शांति और समृद्धि आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ-साथ नहीं रह सकती. इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए.