तालिबान ने 9 साल बाद अपने संस्थापक की कब्र का खोला राज़...छिपा कर रखने की थी यह वजह

मुल्ला उमर ने अफगानिस्तान में रूसी कब्जे के बाद शुरु हुए गृहयुद्ध से निपटने के लिए 1993 में तालिबान की स्थापना की थी.

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केवल परिवार के नज़दीकी सदस्यों को मुल्ला उमर की कब्र के बारे में पता था :- तालिबान प्रवक्ता

तालिबान (Taliban) ने रविवार को आखिरकार अपने संस्थापक मुल्ला उमर की कब्र (Mullah Omar Burial Place)  के स्थान को सार्वजनिक कर दिया है. मु्ल्ला उमर की कब्र को तालिबान ने कई सालों तक गुप्त रखा था. अमेरिका (US) के अफगानिस्तान से तालिबान को खदेड़ने के बाद  साल 2001 में तालिबान सत्ता से बाहर हो गए थे. उसी समय उमर की तबियत और उसके स्थान के बारे में कई अफवाहें उड़ीं. तालिबान ने केवल 2015 में जाकर माना कि दो साल पहले उसकी मौत हो गई. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने रविवार को एएफपी को बताया कि तालिबान के वरिष्ठ नेता मुल्ला उमर की क्रब पर रखे गए एक कार्यक्रम में इकठ्ठा हुए जो जाबुल प्रांत में मौजूद सूरी जिले में उमरजो के निकट मौजूद है. 

तालिबान ने पिछले साल अगस्त में सत्ता में वापसी की थी, और अमेरिका के नेतृत्तव वाली सेनाओं को अफगानिस्तान से जाना पड़ा था. इससे 20 साल बाद अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई थी. 

मुजाहिद ने कहा, "क्योंकि कई दुश्मन चारों तरफ थे और देश कब्जे में था...इस कारण मुल्ला उमर की कब्र को गुप्त रखा गया." 

आगे उन्होंने बताया, केवल परिवार के नज़दीकी सदस्यों को मुल्ला उमर की कब्र के बारे में पता था.  

अधिकारियों द्वारा जारी तस्वीरें दिखाती हैं कि तालिबान के नेता एक सादा सफेद ईंटों से बनी कब्र के नज़दीक जमा हैं, जो एक हरे रंग के मेटल के बाड़े के बीच में है.  

मुजाहिद ने कहा, अब फैसला ले लिया गया है, लोग अब इस कब्र पर आ सकते हैं. मुल्ला उमर ने अफगानिस्तान में रूसी कब्जे के बाद शुरु हुए गृहयुद्ध से निपटने के लिए 1993 में तालिबान की स्थापना की थी. 55 साल की उम्र में मु्ल्ला उमर का निधन हो गया था.  

उसके नेतृत्व में तालिबान ने कट्टर इस्लामिक नियम जारी किए थे, जिसमें महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से मनाही थी और सख्त सार्वजनिक सजाएं दी जाती थीं.  

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