कोविड-19 के बाद महीनों तक रहते हैं थकान और सिर दर्द, नई रिसर्च में हुआ खुलासा

‘ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी-हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण से ठीक होने के बाद लंबे समय तक हड्डियों में दर्द, खांसी, सूंघने की क्षमता और स्वाद में बदलाव, बुखार, ठंड लगना और नाक बंद होना जैसे लक्षणों को भी देखा गया.

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यह अध्ययन 200 मरीजों पर किया गया था.
जॉर्जिया:

कोरोना ने पूरी दुनिया में कैसी तबाही मचाई, उससे तो हर कोई वाकिफ है. अब कोरोना बिमारी को दस्तक दिए लंबा वक्त हो चुका है. लेकिन ये बीमारी अभी भी लोगों के लिए चिंता का सबब बन हुई है. हालांकि गनीमत की बात ये है कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमण की वजह से होने वाली मौते के आंकड़े में गिरावट  दर्ज की गई है. कोरोना से उबरने के चार महीनों से अधिक समय बाद लोगों में थकान और सिर में दर्द के लक्षण देखे गए हैं. इस बारे में एक अध्ययन में जानकारी दी गयी है.

‘ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी-हेल्थ' में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण से ठीक होने के बाद लंबे समय तक हड्डियों में दर्द, खांसी, सूंघने की क्षमता और स्वाद में बदलाव, बुखार, ठंड लगना और नाक बंद होना जैसे लक्षणों को प्रमुखता से देखा गया. इस अध्ययन में कहा गया कि इससे इस बात की तस्दीक होती है कि कोरोना संक्रमण के बाद तंत्रिका मनोविज्ञान से जुड़े क्रमिक लक्षण देखे गए.

जॉर्जिया में अगस्ता विश्वविद्यालय में तंत्रिका विज्ञानी एलिजाबेथ रुतकोव्स्की ने कहा, ‘‘इसके बहुत ऐसे लक्षण भी हैं जो हमें महमारी की शुरुआत में नहीं पता थे लेकिन अब यह साफ है कि कोविड लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है और बहुत सारे लोगों पर इसका असर पड़ा है.'' आपको बता दें कि यह अध्ययन 200 मरीजों पर किया गया था. इसमें भाग लेने वाले आठ प्रतिशत मरीजों ने तंत्रिका मनोचिकित्सा संबंधी लक्षण दिखने की बात कही. जिसमें से सबसे आम लक्षण थकान महसूस होना था. जो करीब 68.5 प्रतिशत मरीजों में देखा गई. जबकि 66.5 प्रतिशत मरीज सिर में दर्द से परेशान रहे.

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रिसर्चर्स ने बताया कि करीब आधे लोगों ने सूंघने की क्षमता (54.4 फीसदी) और स्वाद (54 फीसदी) में बदलावों की जानकारी दी. वहीं करीब आधे यानी (47 फीसदी) मरीजों ने संज्ञानात्मक क्षमता में हल्की कमी आने की शिकायत की. कोरोना संक्रमण के साथ अपने अनुभव के अलावा, 21 फीसदी व्यक्तियों ने भी डिसऑरिएंटेशन की जानकारी दी और हाय ब्लड प्रेशर सबसे ज्यादा देखा गया.

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हालांकि किसी प्रतिभागी की तरफ से स्ट्रोक, मांसपेशियों की कमजोरी या बोलने की मांसपेशियों को लेकर कोई शिकायत नहीं आई. लेकिन 25 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन की समस्या भी देखने को मिली. यह उनमें ज्यादा पाया गया जिन्हें पहले से डायबिटीज, मोटापे, स्लीप एपनिया या हल्का डिप्रेशन हो. वहीं, कई लोगों में चिंता का बढ़ जाना भी देखा गया. जिसमें से 18 प्रतिशत लोगों में एनीमिया और डिप्रेशन की समस्या से दो चार हो रहे थे.

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