"मैं अपने देश की चीजें देखती हूं और वो..." सुधा मूर्ति ने दामाद ऋषि सुनक के लिए कही ये बातें

ऋषि सुनक 25 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने. सुनक ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले पीएम हैं. अपने दामाद के बारे में सुधा मूर्ति कहती हैं, "वह पीएम बन गए हैं. ठीक है, मैं खुश हूं, इससे ज्यादा नहीं. वो हमारे लिए दामाद थे और दामाद रहेंगे."

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ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले भारतवंशी और गैर श्वेत प्रधानमंत्री हैं.

नई दिल्ली:

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) का भारत में ससुराल है. वो आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys)के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) और सुधा मूर्ति (Sudha Murty)के दामाद हैं. लेकिन नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति शायद ही कभी अपने दामाद के बारे में बात करते हैं. इंफोसिस की स्थापना के 40 साल पूरे होने पर एनडीटीवी को दिए एक खास इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ने कहा कि वह खुश हैं कि उनके दामाद ब्रिटेन के पीएम बन गए हैं".

ऋषि सुनक 25 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने. सुनक ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले पीएम हैं. अपने दामाद के बारे में सुधा मूर्ति कहती हैं, "वह पीएम बन गए हैं. ठीक है, मैं खुश हूं, इससे ज्यादा नहीं. वो हमारे लिए दामाद थे और दामाद रहेंगे."

एनआर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति की स्टैनफोर्ड में ऋषि सुनक के साथ मुलाकात हुई थी. दोनों ने 2009 में शादी की. उनकी दो बेटियां हैं. सुनक जब ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बने, तो नारायण मूर्ति ने एक बयान में कहा: "ऋषि को बधाई. हमें उन पर गर्व है. हम उनकी सफलता की कामना करते हैं. हमें विश्वास है कि वह ब्रिटेन के लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे."

क्या ऋषि सुनक के साथ राजनीतिक चर्चा होती है? ये पूछने पर सुधा मूर्ति कहती हैं, "नहीं, कभी नहीं. वह हमेशा हमारे दामाद थे. मैं उन्हें शुभकामनाएं दूंगी." क्या मूर्ति परिवार अपने दामाद की तरक्की के बारे में खबरें फॉलो करते हैं? इसके जवाब में वह मुस्कुराती हुई कहती हैं, 'मैं अपने देश की चीजों की देखभाल करती हूं और वो अपनी चीजों की देखभाल करते हैं.'

सुधा मूर्ति ने इंटरव्यू में इंफोसिस के इंफोसिस बनने के बारे में भी बात की. उन्होंने बताया कि कैसे उनके पति नारायण मूर्ति ने उनसे 10 हजार रुपये लेकर कंपनी की शुरुआत की थी. बाद में इंफोसिस दुनिया की अग्रणी आईटी कंपनियों में शुमार हुआ.

सुधा मूर्ति कहती हैं, "मैं बेहद खुश और अच्छा महसूस कर रही हूं, क्योंकि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि 10,000 बाद में अरबों डॉलर बन जाएंगे."

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