एक देश, दो सरकार और 10 हजार से ज्यादा लाश… क्या टूटने की कगार पर सूडान?

सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स, RSF ने गृहयुद्ध शुरू होने की दूसरी वर्षगांठ, यानी मंगलवार, 15 अप्रैल को सेना की मौजूदा सरकार से मुकाबला करने के लिए अपनी नई सरकार बनाने की घोषणा की.

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सूडान में गृहयुद्ध शुरू हुए 2 साल गुजर चुके हैं

सूडान में गृहयुद्ध शुरू हुए ठीक दो साल गुजर गए हैं. इस अफ्रीकी देश के अंदर पावर में मौजूद आर्मी और वहां की पैरामिलिट्री (अर्धसैनिक बल) के बीच जंग जारी है. इस जंग ने 10 हजार से भी अधिक लोगों की जान ले ली है. ऐसे में सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स RSF ने गृहयुद्ध शुरू होने के दो साल गुजरने वाले दिन को ही, यानी मंगलवार, 15 अप्रैल को सेना की मौजूदा सरकार से मुकाबला करने के लिए अपनी नई सरकार बनाने की घोषणा की.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 15 अप्रैल, 2023 को शुरू हुआ संघर्ष दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट है. इसकी वजह से 1.3 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें 3.5 मिलियन से अधिक अन्य देशों में शामिल हैं. सबसे खराब बात यह है कि शांति का कोई संकेत भी नजर नहीं आ रहा है.

क्या टूटने की कगार पर सूडान?

पैरामिलिट्री (रैपिड सपोर्ट फोर्सेज/ RSF) के नेता मोहम्मद हमदान डागलो की अध्यक्षता में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने जब प्रतिद्वंद्वी सरकार की घोषणा की तो यह आशंका बढ़ गई कि सूडान में विभाजन और बढ़ेगा, अब लड़ाई दो प्रतिद्वंदी सरकारों के बीच होगी. अभी सूडान में आर्मी की सरकार है जिसको अब्देल फत्ताह अल-बुरहान लीड करते हैं. RSF के नेता डागलो दो साल पहले गृहयुद्ध शुरू होने से पहले अल-बुरहान के साथ ही मिलकर सरकार चलाते थे और उनके डिप्टी थे. दोनों पर इन दो सालों में अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल का आरोप लगा है.

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डागलो ने एक टेलीग्राम बयान में कहा, "इस वर्षगांठ पर, हम गर्व से शांति और एकता सरकार की स्थापना की घोषणा करते हैं. यह एक व्यापक गठबंधन है जो सूडान के असली चेहरे को दर्शाता है." RSF और उसके सहयोगियों ने फरवरी में केन्या में एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए, जिसमें उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों में "शांति और एकता की सरकार" की घोषणा की गई. डागलो के अपने नए बयान में कहा गया है कि "नागरिक और राजनीतिक ताकतों" के साथ पैरामिलिट्री फोर्स ने एक संक्रमणकालीन संविधान पर हस्ताक्षर किए थे, जो "एक नए सूडान के लिए रोडमैप" था. वह संविधान "सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए, हमारी स्वैच्छिक एकता का प्रतीक" 15 सदस्यीय राष्ट्रपति परिषद का प्रावधान करता है.

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विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि गृहयुद्ध के बीच अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश स्थायी रूप से टूट सकता है. सूडान का अध्ययन करने वाले कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शरथ श्रीनिवासन ने कहा, "डारफुर में RSF के साहस बढ़ने के साथ, जो क्षेत्रीय विभाजन हो रहा है उसका मतलब वास्तव में अलगाव हो सकता है."

घर, शहर और देश छोड़ने को मजबूर लोग

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमैनिटेरियन कोऑर्डिनेटर क्लेमेंटाइन नक्वेटा-सलामी ने कहा, "इन दो सालों में, लाखों लोगों का जीवन बिखर गया है. परिवार टूट गए हैं. आजीविका खो गई है. और कई लोगों के लिए, भविष्य अनिश्चित बना हुआ है." 2023 में युद्ध  शुरू होने के साथ अनगिनत लोग मारे गए और सैकड़ों हजारों लोग खार्तूम से भाग गए. जो लोग पीछे रह गए, उन्होंने RSF के नियंत्रण में जिंदा रहने के लिए संघर्ष किया. पैरामिलिट्री पर लूटपाट और यौन हिंसा का आरोप लगाया गया है.

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पोर्ट सूडान के विस्थापितों के लिए कैंप में एक सूडानी महिला और बच्चे
Photo Credit: एएफपी

सूडान की राजधानी पिछले महीने सेना द्वारा इसे वापस लेने तक RSF के नियंत्रण में थी. यहां रहने वाले 52 साल के अब्देल रफी हुसैन ने कहा, “मेरा वजन आधा वजन हो गया है.. हम (अब) सुरक्षित हैं, लेकिन फिर भी, हम पानी और बिजली की कमी से पीड़ित हैं और अधिकांश हॉस्पिटल काम नहीं कर रहे हैं."

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अब RSF दारफुर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जहां उसने अपने नियंत्रण से बाहर पश्चिमी क्षेत्र के आखिरी प्रमुख शहर अल-फशर की घेराबंदी कर दी है.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि हाल के दिनों में 400 से अधिक लोग मारे गए हैं. पैरामिलिट्री फोर्सेज ने रविवार को पास के जमजम विस्थापन कैंप पर नियंत्रण का दावा किया है. संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के अनुसार, RSF के आगे बढ़ने पर अनुमानित 4 लाख नागरिक अकाल प्रभावित कैंप से भाग गए.

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी OCHA ने कहा, "जमजम शिविर तक पहुंचा नहीं जा सकता है. किसी तरह से स्वतंत्र रूप से वेरिफाई नहीं कर सकते क्योंकि कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट है.. लेकिन सैटेलाइट से मिली तस्वीरें बता रही हैं कि कैंप में बड़े पैमाने पर आगजनी हुई है.” वहीं सेना ने मंगलवार को कहा कि उसने अल-फशर के उत्तर-पूर्व में RSF के ठिकानों पर "सफल हवाई हमले" किए हैं.

लंदन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में लड़ाई रोकने की मांग की गई जबकि अमेरिका ने दारफुर में हुई मौतों की निंदा की.

लंदन से निकलेगा शांति का रास्ता?

लंदन में कई देशों के मंत्रियों ने सम्मेलन करके सूडान में जारी संघर्ष को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की. लेकिन खास बात तो यह थी कि लड़ने वाले दोनों पक्ष में से कोई भी इसमें शामिल नहीं हुआ था. इस सम्मेलन में यूरोपीय देशों ने इस विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने के लिए "तत्काल और स्थायी युद्धविराम" का आह्वान किया. इन देशों ने मानवीय सहायता के लिए 800 मिलियन यूरो (900 मिलियन डॉलर) से अधिक का नया फंड देने का वादा भी किया.

वहीं अफ्रीकी यूनियन सहित अन्य देशों और संगठनों ने भी "सूडान के किसी भी विभाजन को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया". सात विदेश मंत्रियों के समूह (G7 Foreign Ministers) ने कनाडा में बैठक कर तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का बात की. एक बयान में G7 शक्तियों ने दोनों पक्षों से "गंभीर, रचनात्मक वार्ता में सार्थक रूप से शामिल होने" का आग्रह किया है.

वैसे तो मरने वालों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूर्व अमेरिकी दूत टॉम पेरिएलो ने पिछले साल 150,000 लोगों के मरने का अनुमान लगाया था. मंगलवार को, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सेना द्वारा राजधानी पर कब्जा करने के बाद अगले छह महीनों में 2.1 मिलियन लोग खार्तूम लौट आए. सहायता एजेंसियों का कहना है कि भूख अब एक व्यापक खतरा है. जमजम कैंप दस लाख लोगों को आश्रय दे रहा था और यह सूडान में पहला स्थान था जहां अकाल घोषित किया गया था. अब वहां भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है. अकाल के मामले में आस-पास के अन्य कैंप ने भी इसका अनुसरण किया है और अगले महीने तक अल-फशर में अकाल पड़ने की आशंका है.

(इनपुट- एएफपी रिपोर्ट, एनडीटीवी द्वारा अनुवादित)

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