श्रीलंका (Sri Lanka) के दक्षिण पश्चिमी रामबुक्काना (Ram Bukkana) क्षेत्र में ईंधन की कीमतों (Fuel Prices) में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में एक शख्स की मौत और 13 लोगों के जख्मी होने के बाद लगाया गया कर्फ्यू (Curfew) बुधवार को भी जारी रहेगा. पुलिस ने ईंधन की कीमत में फिर से बढ़ोतरी करने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई थी.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने कहा कि वह घटना को लेकर बेहद दुखी हैं. उन्होंने कहा कि नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के अधिकार में बाधा नहीं डाली जाएगी.
राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “ श्रीलंकाई नागरिकों के शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार में बाधा नहीं डाली जाएगी. श्रीलंका की पुलिस रामबुक्काना की घटना की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करेगी. घटना को लेकर मैं बहुत दुखी हूं. मैं सभी नागरिकों से आग्रह करता हूं कि वे प्रदर्शन करने के दौरान हिंसा से दूर रहें.”
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि वह रामबुक्काना में हुई हिंसा से बहुत व्यथित हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस सख्त और निष्पक्ष जांच करेगी.
उन्होंने कहा, “ रामबुक्काना में हुई घटना से बेहद व्यथित हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि श्रीलंका पुलिस सख्त, निष्पक्ष जांच करेगी, जिन्होंने हमेशा पूरे सम्मान के साथ श्रीलंका के लोगों की सेवा की है.”
अधिकारियों के अनुसार, रामबुक्काना के केगाले अस्पताल में भर्ती कराए गए 13 प्रदर्शनकारियों में से कम से कम तीन की हालत गंभीर है. घटना में 15 पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं.
पुलिस प्रमुख चंदन विक्रमरत्ने ने पत्रकारों को बताया कि इलाके में लगाया गया कर्फ्यू जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘ प्रदर्शनकारी कल हिंसक हो गए थे और उन्होंने रेल की पटरियों को जाम कर दिया था. वह पुराने दामों पर ही ईंधन दिए जाने की मांग कर रहे थे.''
उन्होंने बताया कि जब पुलिस ने दो ‘ईंधन टैंकर' की व्यवस्था की, तो प्रदर्शनकारियों ने रेल की पटरियों को अवरुद्ध करते हुए एक वाहन की बैटरी निकाल ली.
पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘‘पुलिस ने न्यूनतम बल का इस्तेमाल करते हुए आंसू गैस के गोले दागे.''
श्रीलंका अप्रत्याशित आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे प्रदर्शनों में पहली बार कल एक व्यक्ति की मौत हुई.
जन सुरक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी जगत अलविस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने 33,000 लीटर ईंधन से भरे टैंकर को आग लगाने की कोशिश की. भीड़ को ऐसा करने से रोकने के लिए पुलिस को मजबूरन गोलियां चलानी पड़ी.
अलविस ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के लिए अत्यधिक बल का इस्तेमाल किया था या नहीं, इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की गई है.
अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के दूतावासों ने बयान जारी कर पुलिस की गोलीबारी की निंदा की है.
श्रीलंका में सोमवार की रात को ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी, जिसके बाद मंगलवार को कई स्थानों पर लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया.
द्वीपीय राष्ट्र में तेल इकाइयां ईंधन की कमी के कारण नियमित रूप से कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं.
इस बीच, श्रम संगठनों ने सामूहिक रूप से कहा कि वे चल रहे आर्थिक संकट के कारण सरकार पर इस्तीफा देने का दबाव बनाने के लिए ‘‘काला विरोध'' शुरू करेंगे.
शिक्षकों के श्रम संगठन के प्रमुख जोसेफ स्टालिन ने कहा, ‘‘हम काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन करेंगे.''
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. महंगाई आसमान छू रही है. इसको लेकर देश में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है.