श्रीलंका (Sri Lanka) में पुलिस पर पिछले हफ्ते शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर किए गए हमलों में शामिल राजपक्षे (Rajpakshe) परिवार के वफादारों को गिरफ्तार करने का सोमवार को दबाव बनाया गया. गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahida Rajpakshe) के समर्थकों ने करीब एक महीने से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद देश भर में गुस्साई जनता का गुस्सा फूटा और हिंसा हुई. पुलिस ने हिंसा में नौ लोगों के मारे जाने के बाद विभिन्न आरोपों के तहत 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.
इन झड़पों के कारण बीते सोमवार से कर्फ्यू लागू है. पुलिस ने कर्फ्यू के उल्लंघन, जनता पर हमला करने और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में नौ मई के बाद से करीब 230 लोगों को गिरफ्तार किया है.
युवा वकील संघ के नुवान बोपेज ने पत्रकारों को बताया, ‘‘पुलिस ने कहा है कि उन्होंने नेताओं पर हमला करने को लेकर 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. हम ऐसी हिंसा की निंदा करते हैं. लेकिन उन्हें प्रदर्शनकारियों के सरकार समर्थित हमलावरों को गिरफ्तार करने की कोई जल्दबाजी नहीं है.''
अटॉर्नी जनरल ने भी पुलिस से जांच में तेजी लाने को कहा है.
गौरतलब है कि सरकार समर्थित भीड़ ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई तथा पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर नौ मई को हमला कर दिया था. इसके बाद राजपक्षे के वफादारों के खिलाफ भड़की व्यापक हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गयी थी और 200 से अधिक घायल हो गए थे.
पुलिस ने जनता से सरकार समर्थित हमलावरों के बारे में सूचना देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कोलंबो के मोरातुवा उपनगर की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा नियंत्रित नगर निगम परिषद के एक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने हमलावरों की जानकारी देने के वास्ते जनता के लिए फोन लाइनें बनाई हैं.
वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को संसद में जाने की वजह से अपने लिए अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है.
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है.