बांग्लादेश की ‘आयरन लेडी’ बनने से लेकर मौत की सजा तक... कहानी शेख हसीना की

शेख हसीना के नेतृत्व में ‘अवामी लीग’ ने 2008 के आम चुनाव में भारी जीत हासिल की. 2014 के आम चुनाव, जिसका जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने बहिष्कार किया था, उसमें भी हसीना नीत ‘अवामी लीग’ बाजी मारने में सफल रही थी.

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बांग्लादेश की राजनीति में शेख हसीना का नाम पिछले दो दशक से केंद्र में बना रहा,फिर चाहे वह सियासी स्थिरता का समय हो या फिर उथल-पुथल का दौर. शेख हसीना के समर्थकों के लिए वह एक आधुनिक विकासशील बांग्लादेश का निर्माण करने वाली ‘आयरन लेडी' हैं.  वहीं, आलोचकों की नजरों में हसीना एक तानाशाह थीं, जिन्होंने सत्ता की भूख में सड़कों पर उठी आवाज को अनसुना कर दिया. हालांकि,शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शेख हसीना ने जिस न्यायाधिकरण का गठन कट्टर युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया था, वही एक दिन उन्हें कठघरे में ला खड़ा करेगा. बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सोमवार को हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई.

शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आईसीटी का पुनर्गठन किया, जिसने 2024 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर हसीना और अन्य पर मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमा चलाया.संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुए छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध-प्रदर्शन के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए थे.सोमवार को आईसीटी ने कई महीनों की सुनवाई के बाद हसीना को मौत की सजा सुनाई.भारत में निर्वासन में रह रहीं हसीना अब सीमा पार से उस देश को अपने उदय से लेकर पतन तक छोड़ी गई विरासत से जूझते देख रही हैं, जिसके विकास में उन्होंने अहम योगदान दिया और जिस पर उन्होंने लंबे समय तक मजबूती से शासन किया.
 

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