हिंसा की चपेट में बांग्लादेश! शेख हसीना पर फैसले के पहले ही बुलडोजर से पैतृक घर गिराने पहुंची हिंसक भीड़

Sheikh Hasina Verdict: मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के मामले में पद से हटाई जा चुकीं शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) सोमवार को फैसला सुनाने वाला है.

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बांग्लादेश में मानवता के विरुद्ध अपराध के मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आज यानी सोमवार, 17 नवंबर को फैसला सुनाया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) की तरफ से फैसला सुनाए जाने से पहले पूरे बांग्लादेश में सुरक्षा तैनाती की गई है लेकिन इसके बावजूद हिंसा शुरू हो गई है.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में, जहां आम तौर पर सोमवा की सुबह जाम रहती है, वहां आज जागने पर लगभग खाली सड़कें दिखीं, भारी पुलिस वाले चौराहों पर केवल छिटपुट कारें और रिक्शा ही चल रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा, शहर में छिटपुट हिंसा की घटनाएं हुईं. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को ब्लॉक करने के लिए पेड़ों की टहनियां और टायर जलाए, जबकि ढाका में कई देशी बम विस्फोटों से आसपास के इलाके दहल गए.

कुछ समूह बुलडोजर के साथ ढाका के 32 धानमंडी पहुंचे हैं. यह शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का पैतृक घर है. फिलहाल घटनास्थल पर पुलिस मौजूद है. पुलिस के रोकने के बावजूद समूह नारे लगा रहा है और कह रहा है कि वे इस घर को तोड़ देंगे. इससे पहले भी पिछले साल के विद्रोह के बीच इसे तबाह करने की कोशिश हुई थी. शेख हसीना ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में 32 धनमंडी के विषय पर एनडीटीवी से बात की है. उन्होंने कहा, "मेरे पिता के ऐतिहासिक निवास का विनाश बांग्लादेश के इतिहास से आजादी के लिए हमारी कड़ी लड़ाई की विरासत को मिटाने का एक बर्बर प्रयास था. सत्ता में बैठे लोग हमारे मुक्ति संग्राम की भावना को मिटाना चाहते हैं. यह उन लोगों की यादों का घोर अपमान है जिन्होंने हमारे भविष्य के लिए अपनी जान दे दी."

वहीं देश के कई अन्य हिस्सों से भी ऐसी ही हिंसा की खबरें आ रही हैं. 

आज शेख हसीना पर आएगा फैसला

शेख हसीना, अपदस्थ अवामी लीग सरकार में उनके गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया गया है. पूर्व प्रधानमंत्री और कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया और अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया.

ICT-BD के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने पहले आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी. पूर्व पुलिस प्रमुख ने व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होकर मुकदमे का सामना किया लेकिन वह सरकारी गवाह बन गए.

ICT-BD अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार ने मामले में जब फैसला सुनाने की तारीख तय की तब मामून कटघरे में खड़े दिखायी दिए. इस न्यायाधिकरण ने 28 कार्य दिवसों के बाद 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जब 54 गवाहों ने अदालत के समक्ष गवाही दी कि किस प्रकार पिछले वर्ष ‘जुलाई विद्रोह' नामक छात्र आंदोलन को दबाने के प्रयास किए गए थे, जिसने पांच अगस्त 2024 को हसीना की अब भंग हो चुकी अवामी लीग सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था.

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राजधानी ढाका में 13 नवंबर को तीन न्यायाधीशों वाले न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाने के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की थी.

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