उन्हें अब कीमत चुकानी होगी... ये तो अब आतंकियों को भी पता चल गया है : शशि थरूर

भारत के कूटनीतिक प्रयासों के तहत सात प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर के देशों की 33 राजधानियों की यात्रा कर रहे हैं ताकि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवाद को लेकर भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की मंशा के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी बात रखी जा सके.

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"आतंकवादी कृत्य को दंडित किए बिना नहीं छोड़ा जाना चाहिए"

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल किसी भी प्रकार के आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने का भारत का मजबूत संदेश लेकर मंगलवार को पनामा पहुंचा. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने यहां कहा, "हाल के वर्षों में जो बदलाव आया है, वो ये है कि आतंकवादियों को भी एहसास हो गया है कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. इस पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए. भारत ने सितंबर 2015 में एक आतंकी ठिकान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. यह कुछ ऐसा था जो पहली नहीं किया गया था. कारगिल युद्ध के दौरान भी हमने नियंत्रण रेखा पार नहीं की थी; उरी में हमने ऐसा किया और फिर जनवरी 2019 में पुलवामा में हमला हुआ. इस बार हमने न केवल नियंत्रण रेखा बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार की और हमने बालाकोट में आतंकवादी मुख्यालय पर हमला किया. इस बार हम आगे निकल गए. हमने नौ जगहों पर आतंकी ठिकानों, प्रशिक्षण केंद्रों, आतंकी मुख्यालयों पर हमला किया.

हमें युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं

पनामा विधानसभा अध्यक्ष डाना कास्टानेडा के साथ बैठक में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "हम सभी अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि और भारत के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं लेकिन हम राष्ट्रीय उद्देश्य में एकजुट हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमने यह देखने के लिए इंतजार किया कि क्या पाकिस्तान सरकार इस भयानक अपराध के अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी. जब स्पष्ट रूप से कुछ नहीं किया गया, तो दो सप्ताह बाद, 7 मई को हमने पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ठिकानों के ज्ञात मुख्यालयों पर हमला किया. हमें युद्ध शुरू करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन हमें लगा कि आतंकवादी कृत्य को दंडित किए बिना नहीं छोड़ा जाना चाहिए."

बता दें इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी एम हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कलिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं.

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भारत के कूटनीतिक प्रयासों के तहत सात प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर के देशों की 33 राजधानियों की यात्रा कर रहे हैं ताकि विशेष रूप से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवाद को लेकर भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की मंशा के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी बात रखी जा सके.

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पाकिस्तान को भारत ने दिया था करारा जवाब

पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने छह मई की देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने का प्रयास किया था. भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया. दोनों पक्षों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच 10 मई को बातचीत के बाद सैन्य संघर्ष को रोकने पर सहमति बनी थी.

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