सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने शनिवार को घोषणा की कि वह देश के उन 60,000 लोगों को ही सालाना हज (Hajj) करने की इजाजत देगा जो कि टीका लगवा चुके हैं. सऊदी अरब के मीडिया ने यह जानकारी दी है. आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार हज मंत्रालय ने कहा है कि इस साल की हज यात्रा देश के नागरिकों के लिए खुली होगी और यात्रियों की संख्या 60,000 तक सीमित होगी. जुलाई के अंत में होने वाली तीर्थयात्रा में सिर्फ वे लोग जा सकेंगे जिन्हें टीका लग चुका है, जिनकी उम्र 65 साल से कम है और जिन्हें कोई पुरानी बीमारी नहीं है. यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब कोरोनो वायरस महामारी के चलते कम लोगों को हज करने मिलेगा.
सक्षम मुसलमानों के लिए अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार हज यात्रा करना जरूरी है. आम तौर पर इस तीर्थयात्रा में लाखों लोग पहुंचते हैं. इससे संक्रमण का जोखिम हो सकता है. पिछले साल केवल 10 हजार मुसलमानों ने हज किया था. जबकि 2019 में इस पांच दिवसीय सालाना तीर्थयात्रा में शामिल होने वालों की तादाद 25 लाख थी.
पिछले अक्टूबर में कोरोनो वायरस प्रतिबंधों में ढील देते हुए सऊदी अरब ने सात महीनों में पहली बार प्रार्थना के लिए ग्रैंड मस्जिद खोली और आंशिक रूप से उमराह तीर्थयात्रा को फिर से शुरू किया. उमराह तीर्थयात्रियों की सीमा प्रतिदिन 20,000 है. कुल 60,000 श्रद्धालुओं को मस्जिद में दैनिक प्रार्थना करने की अनुमति है.
उमराह आम तौर पर हर साल दुनिया भर के लाखों मुसलमानों को आकर्षित करता है. अधिकारियों ने कहा है कि महामारी का खतरा कम होने के बाद उमरा को पूरी क्षमता से साथ आयोजित करने की इजाजत दी जाएगी.
काबा में श्रद्धा का केंद्र काला पत्थर प्रथागत है, लेकिन तीर्थयात्रा के दौरान उसे स्पर्श करना अनिवार्य नहीं है. वह पहुंच में भी नहीं होता है.गौरतलब है कि कोरोना काल में हर देश में कई तरह की पाबंदियां लागू हैं. भारत समेत दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या भी बेहद सीमित है. भारत से भी दूसरे देशों के लिए बेहद कम विमान उड़ रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए भी ज्यादातर जगहों पर धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है.