गैंग्स ऑफ स्पेसपुर! कौन और क्यों कर रहा सैटेलाइट हैक? चांद के भी पार पहुंचा स्पेस वॉर

चीन और रूस ने आने वाले वर्षों में चंद्रमा पर अपने स्वयं के परमाणु संयंत्रों (न्यूक्लियर प्लांट) को बनाने की योजना की घोषणा की है. जबकि अमेरिका चंद्रमा और मंगल ग्रह पर मिशन की योजना बना रहा है.

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चांद के भी पार पहुंची 21वीं सदी की जंग
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  • रूस के हैकरों ने यूक्रेन को टेलीविजन सेवा देने वाले सैटेलाइट को हैक कर रूस की विजय दिवस परेड दिखाई थी.
  • अंतरिक्ष में सैटेलाइट हाइजैकिंग के जरिए बिना गोली चलाए विरोधी देश को गंभीर नुकसान पहुंचाया जा सकता है.
  • आज लगभग 12000 सक्रिय सैटेलाइट संचार, सैन्य संचालन, नेविगेशन और खुफिया जानकारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
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आपने घर से स्कूल के लिए निकले छोटे बच्चों की किडनैपिंग की बात सुनी होगी. आपने दफ्तर से घर आते डैडी को अगवा किए जाने की खबर पढ़ी होगी. लेकिन क्या आपने कभी अंतरिक्ष में अपहरण की बात सुनी है? पहली बार यह बात पढ़कर शायद आपके मन में ख्याल आए कि ये क्या मजाक है, भला अंतरिक्ष में किसी का अपहरण हो सकता है क्या. तो आपको बता दें कि यह मजाक कतई नहीं है. आज जमाना विज्ञान का है और अंतरिक्ष में किसी इंसान का नहीं बल्कि सैटेलाइट का अपहरण हो रहा है. अगर और सही शब्दावली का इस्तेमाल करें तो अंतरिक्ष में घूमते सैटेलाइट को हाइजैक किया जा रहा, उसे हैक करके मनचाहा काम कराया जा रहा. ठीक ऐसे ही हाइजैक को रूस के हैकरों ने अंजाम दिया है.

जब यूक्रेन के लोगों को जबरदस्ती दिखाई गई रूस की विजय दिवस परेड

AP की रिपोर्ट के अनुसार इस साल जब 9 मई को रूस में जब विजय दिवस परेड आयोजित किया जा रहा था तब यूक्रेन के टेलीविजन पर उसका लाइव टेलीकास्ट हो रहा था. यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है तो आखिर यूक्रेन के लोग टीवी पर रूस का परेड क्यों देख रहे थे. दरअसल रूसी सरकार (क्रेमलिन) का समर्थन करने वाले हैकरों ने अंतरिक्ष में चक्कर काटते उस सैटेलाइट को ही हैक कर लिया था जो यूक्रेन को टेलीविजन सेवा प्रदान करता है.

अब इसकी वजह से यूक्रेन के टीवी पर नार्मल टीवी शो नहीं चले. बल्कि उसके बजाय, यूक्रेन के दर्शकों ने मॉस्को से आने वाली परेड की फुटेज देखी. उनके स्क्रीन पर रूस टैंक, सैनिक और हथियारों की परेड दिख रही थी. हैकर चाहते थे कि यूक्रेन की जनता रूस की सैन्य ताकत देखकर डरे. आज वक्त बदल गया है. यह दर्शाता था कि 21वीं सदी का युद्ध न केवल जमीन, समुद्र और हवा पर बल्कि साइबरस्पेस और बाहरी अंतरिक्ष तक भी लड़ा जा रहा है.

दुश्मन देश और उसके हैकर्स के निशाने पर सैटेलाइट

बात सिंपल है. हर सिस्टम में कोई न कोई लूप-होल होता है. अगर हैकर आला दर्जे का है तो दुनिया का हर सिस्टम हैक हो सकता है. किसी सैटेलाइट को निष्क्रिय करने से बिना एक गोली चलाए सामने वाले देश को विनाशकारी झटका दिया जा सकता है. इस तरह सैटेलाइट के सुरक्षा सॉफ़्टवेयर को हाइजैक करके, उसकी पृथ्वी को सिग्नल भेजने या प्राप्त करने की उसकी क्षमता को बाधित करके किया जा सकता है.

टीवी से लेकर मोबाइल, हम सड़क पर चलने (जीपीएस) से लेकर आसमान में उड़ने तक, जिंदगी के लगभग हर पहलू में सैटेलाइट साइंस का प्रयोग करते हैं. AP की रिपोर्ट के अनुसार  12,000 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट अब अपनी धरती की परिक्रमा करते हैं. ये न केवल प्रसारण संचार (ब्रॉडकास्टिंग कम्यूनिकेशन) में बल्कि सैन्य अभियानों, जीपीएस जैसे नेविगेशन सिस्टम, खुफिया जानकारी जमा करने और आर्थिक सप्लाई चेन्स में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे किसी देश के एयर डिफेंस के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो आने वाली मिसाइलों के बारे में चेतावनी दे सकते हैं. इस वजह से सैटेलाइट की सुरक्षा 
किसी भी देश के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है.  

रिपोर्ट के अनुसार 2022 में जब रूसी सेना ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया था तब किसी ने यूक्रेन की सरकार और सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली अमेरिकी-आधारित सैटेलाइट कंपनी वियासैट को निशाना बनाया था, उसे हैक किया गया था. हैक के लिए यूक्रेन ने रूस को दोषी ठहराया था. इस हैक में हजारों मॉडेम में वायरस डालने के लिए मैलवेयर का उपयोग किया गया था, जिससे यूरोप के व्यापक क्षेत्रों पर असर पड़ा.

अंतरिक्ष में एंटी-सैटेलाइट रखने की होड़

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि रूस एक अंतरिक्ष-आधारित हथियार विकसित कर रहा है जिसमें न्यूक्लियर बम है. इस हथियार से पृथ्वी की निचली कक्षा (लोअर अर्थऑर्बिट) में लगभग हर सैटेलाइट को एक बार में मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है. 

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दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के लिए जिस एयर डिफएंस सिस्टम- गोल्डन डोम का सपना देखा है, उसमें भी हथियारों को अंतरिक्ष में तैयार करने की तैयारी है.

अंतरिक्ष में अमेरिकी हितों की रक्षा करने और अमेरिकी सैटेलाइट को विरोधी देशों के हमलों से बचाने के लिए 2019 में अमेरिकी अंतरिक्ष बल (यूएस स्पेस फोर्स) बनाया गया था. यह फोर्स अमेरिका की आर्मी, नेवी या एयरफोर्स जैसी सेवाओं की तुलना में बहुत छोटी है, लेकिन यह बढ़ रही है.

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चांद पर नजर

रिपोर्ट के अनुसार चीन और रूस ने आने वाले वर्षों में चंद्रमा पर अपने स्वयं के परमाणु संयंत्रों (न्यूक्लियर प्लांट) को बनाने की योजना की घोषणा की है. जबकि अमेरिका चंद्रमा और मंगल ग्रह पर मिशन की योजना बना रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)  से इस प्रतिस्पर्धा में तेजी आने की संभावना है. साथ ही खुद AI के लिए आवश्यक ऊर्जा की मांग भी तेज होगी. यानी उर्जा कैसे पैदा होगी, इसकी लड़ाई तेज होगी.

(इनपुट- AP)

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