सैटेलाइट तस्वीरें: चीन पैंगोंग त्यो झील के पास बना रहा नया बेस, कर सकेगा दोहरा इस्तेमाल

China's New Base Near Pangong Lake: चीन यह दिखाना चाहता है कि वह सिर्फ नागरिक आबादी के लिए सुविधाओं में सुधार कर रहा है. लेकिन साफ तौर पर दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे को विकसित कर रहा है, जिसका इस्तेमाल सेना संघर्ष के दौरान कर सकेगी.  

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चीन के नए अड्डे का विस्तार.

चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है. वह लंबे समय से लद्दाख के पास (China's New Base Near Pangong Lake) भारतीय इलाकों में अपना सैन्य ढाचा मजबूत करने की कोशिश में लगा है और कुछ हद तक इसमें कामयाब भी होता दिख रहा है. अब पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर चीन नए अड्डे का विस्तार कर रहा है, ये जानकारी सीनियर राजनयिक सूत्रों के हवाले से सामने आई है. उन्होंने पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर एक नए चीनी अड्डे की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं. उनका कहना है कि यह साइट किसी भी अन्य साइट से अलग है, जो जीन की एलएसी वाली साइट पर मौजूद है. 

खाली इलाकों में गांव बसा रहा चीन

रिपोर्ट में जिस जगह की तस्वीरें जारी की गई हैं, वह चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में एलएसी से 36 किमी. पूर्व में मौजूद है. यह चीन के नए पुल से करीब 15 किमी पूर्व में है, यह वही पुल है, जिसे चीन ने लद्दाख में उच्च ऊंचाई वाली पैंगोंग झील पर बनाया है. इसे एलएसी के पास के इलाकों में दबाव बढ़ाने के बीजिंग के नए प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है, जबकि ये इलाके पहले खाली थे. 

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, यह जगह, जिसमें 70 से ज्यादा परमानेंट स्ट्रक्चर्स हैं, यह बहुत ही बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे  मिसाइल हमलों की संभावित कोशिश को कम करने के लिए किया गया है. ऐला लगता है कि इस साइट के दो प्राथमिक कार्य हैं. पहला इस क्षेत्र में चीन के निर्माण गतिविधि में शामिल सैनिकों और पोर्टरों को समायोजित करना और दूसरा भारत के साथ एलएसी के पास वाली जगहों पर संभावित स्थानांतरण के लिए रसद का भंडारण करना.  सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि हर स्ट्रक्चर में 6-8 सैनिक या 10 टन तक रसद सामग्री रखी जा सकती है.' इसमें तोपखाने के गोले समेत गोला-बारूद शामिल हो सकता है.

Advertisement

गांव बसाने के लिए निर्माण कार्य तेजी पर

भू-स्थानिक इमेजरी एक्सपर्ट डेमियन साइमन का कहना है, ऐला लगता है कि इस गांव में एक बड़ी विकास पहल चल रही है, क्रेन समेतत भारी मशीनरी और पर्याप्त आपूर्ति डिपो को देखकर इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. इस बस्ती में ग्रामीण प्रशासनिक दफ्तरों और टाउन सेंटर्स के साथ ही कई दो मंजिला इमारतों का विकास देखा जा रहा है. विद्युतीकरण की कोशिश भी तेज है, क्यों कि बिजली की लाइनें दक्षिणी राजमार्ग से खींची गई हैं. इसके अलावा पानी की आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए, उत्तर में एक संभावित पंपिंग स्टेशन भी बनाया जा रहा है, जो पास की नदी से ताज़ा पानी खींचेगा. इन तैयारियों के बल पर चीन यहां पर एक बार स्थापित होने के बाद, गांव को क्षेत्र की प्रतिकूल जलवायु से अच्छी तरह से संरक्षित किया जा सकेगा. अप्रैल 2022 में यह साइट क्लियर हो गई थी और मार्च 2024 में इस पर निर्माण कार्य शुरू किया गया था. 

Advertisement

निर्माण वाली साइट का दोहरा उपयोग

पाकिस्तानी क्षेत्र पर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व करने वाले उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा (रिटायर्ड) का कहना है कि निर्माणाधीन साइट के दोहरे उपयोग हैं. इससे चीन यह कह सकेगा कि वह सिर्फ नागरिक आबादी के लिए सुविधाओं में सुधार कर रहा है. लेकिन यह साफ तौर पर दोहरे उपयोग वाला बुनियादी ढांचा है, जिसका उपयोग संघर्ष के दौरान सेना कर सकेगी.  

Advertisement

 इस जगह पर निर्माण कार्य से जमीनी तथ्य भी बदल जाते हैं.  बाउंडरी सैटेलमेंट के लिए राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर भारत और चीन के बीच 2005 के समझौते के अनुच्छेद VII में कहा गया है कि बाउंडरी सैटेलमेंट तक पहुंचने के लिए दोनों पक्ष सीमावर्ती इलाकों में बसी आबादी के उचित हितों की रक्षा करेंगे.  जनरल हुड्डा का कहना है कि हालांकि, इन गांवों को भारत के दावे वाले इलाकों में बसाकर चीन अपने दावों को मजबूत करने और हमारी सौदेबाजी की स्थिति को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह खेल बहुत ही बड़ा है. जुलाई में एनडीटीवी ने एक रिपोर्ट जारी कर चीनी वाहनों को नई साइट से 15 किमी दूर पैंगोंग झील पुल को पार करते हुए दिखाया था.
 

Featured Video Of The Day
Ambedkar Remarks Row: Priyank Kharge ने केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने खिलाफ दिया अभद्र बयान