रूस पर दबाव बढ़ाने को तैयार यूक्रेन के यूरोपीन ‘दोस्त’, जानिए कैसे हंगरी ने फिर दे दिया झटका

पूरी दुनिया की नजर रूस और यूक्रेन की तरफ इस उम्मीद से है कि पिछले 3 साल से जारी जंग को रोककर दोनों सीजफायर पर राजी हो जाएंगे.

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
एएफपी

पूरी दुनिया की नजर रूस और यूक्रेन की तरफ इस उम्मीद से है कि पिछले 3 साल से जारी जंग को रोककर दोनों सीजफायर पर राजी हो जाएंगे. लेकिन अभी भी कोई डील दूर नजर आ रही. इस बीच यूरोप के देश रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं. हंगरी के विक्टर ओर्बन को छोड़कर यूरोपीय यूनियन के नेताओं ने कहा है कि वे रूस पर और प्रतिबंध लगाकर दबाव बढ़ाने के लिए तैयार हैं.

बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में यूरोपीयन यूनियन के नेताओं की बैठक हुई. यहां संगठन ने सहमति जताई की वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत के बाद रूस पर और प्रतिबंध लगाने और मौजूदा उपायों को मजबूत करने के लिए तैयार हैं. जेलेंस्की इस बैठक में वीडियो लिंक के जरिए जुड़े थे.

हंगरी का अलग स्टैंड

यहां से यूरोपीय यूनियन के नेता एक साथ एक स्टैंड लेकर एकता का प्रदर्शन करना चाहते थे. लेकिन उनकी इस कोशिश पर एक बार फिर हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने पानी फेर दिया.

मीटिंग के जरिए यह संयुक्त बयान जारी किया गया कि "यूरोपीयन काउंसिल रूस से युद्ध को समाप्त करने के लिए वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने का आह्वान करती है.” लेकिन इसे विक्टर ओर्बन का समर्थन नहीं मिला. हंगरी के प्रधान मंत्री ने इसी तरह दो सप्ताह पहले भी यूरोपीय यूनियन के स्टैंड का समर्थन करने से इनकार कर दिया था.

यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन के स्टैंड से खुद को अलग रखने पर ओर्बन का बढ़ता विश्वास संगठन की क्षमता पर सवाल उठाता है. सवाल यह कि क्या ब्लॉक के पास रूस पर नए प्रतिबंध लगाने और मौजूदा प्रतिबंधों को रिन्यू करने की क्षमता है. हालांकि यूरोप के नेताओं को इस तथ्य से राहत मिल सकती है कि हंगरी ने हमेशा अंत में प्लान को स्वीकार किया है.

अगर बचाव नहीं किया गया तो पुतिन यूक्रेन समझौते का उल्लंघन करेंगे- यूके

लंदन में 20 देशों के सीनियर आर्मी लीडर्स की एक बैठक में भाग लेने के बाद यूके के प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ होने वाले किसी शांति समझौते का उल्लंघन करेंगे यदि इसका बचाव नहीं किया गया.

प्रधान मंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई रोकने के लिए कोई भी समझौता "केवल तभी स्थायी होगा" जब "सुरक्षा व्यवस्थाएं" (सिक्योरिटी अरेंजमेंट) होंगी.
 

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