रूस (Russia) ने अपने से बहुत छोटे देश यूक्रेन (Ukraine) पर पिछले हफ्ते पूरी ताकत से हमला बोल दिया. यूक्रेन का आसमान रूसी मिसाइलों से भर गया और रूस के युद्धपोतों ने यूक्रेन के तटों पर गोलाबारी की. यूक्रेन के एयरबेस तबाह किए गए और रूस की थल सेना टैंको से साथ शहर में घुस गई. लेकिन जैसे-जैसे रूसी सेना आगे बढ़ी विरोध और तेज हो गया. यूक्रेनी सेना की बहादुरी की खबरें सोशल मीडिया पर तैरने लगीं. इनमें से एक कहानी ये थी कि कैसे एक यूक्रेनी सैनिक ने पुल को उड़ाने के लिए खुद को उड़ा लिया ताकि रूसी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोका जाए. दूसरी तरफ ब्लैक सी में एक रूसी युद्धपोत को रोकने के लिए यूक्रेनी टापू के गार्ड ने उन्हें हथियार डालने के लिए कहने पर भाड़ में जाओ कह दिया.
यूक्रेन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अब एक थ्रेड शेयर किया गया है जिसमें यह दिखाया गया है कि रूस के मुकाबले छोटा होने के बाद भी यूक्रेन कैसे मजबूती से लड़ रहा है. पहले ट्वीट में दोनों देशों का मैप दिखाया गया है जिसमें दोनों देशों के आकार का अंतर दिखाया गया है. इसमें कहा गया है, "यूक्रेन की बहादुरी का आकार देखिए".
इसके बाद एक और ट्वीट में कहा गया है," बुराई के सामने खड़े होने से घबराएं नहीं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना ताकवर लगता है. सुबह होने पर हमारा झंडा ही फहराएगा."
कई वीडियो सोशल मीडिया पर आईं हैं जिनमें यूक्रेनियों को रूसी सेना का सामना करते दिखाया जाता है. पूर्व ब्यूटी क्वीन्स भी हथियार थामे दिखाईं दीं.
रूसी सेना अब खार्कीव में हमले पर ध्यान दे रही हैं. खार्कीव यूक्रेन का दूसरी सबसे बड़ा शहर है. यूक्रेन पर हमला बोलने के बावजूद रूस ने वैश्विक दबाव को नजरअंदाज़ किया है जिसमें रूस के खिलाफ युद्धापराध में शामिल होने की बात कही जा रही है. रूस की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक प्रतिबंधों ने प्रहार किया और फीफा ने भी रूस को वर्ल्ड कप से बैन कर दिया है.
सोमवार को युद्ध छिड़ने के बाद पहली बार वार्ताकार मिले. लेकिन यह वार्ता विफल रहीं. लेकिन दोनों पक्षों ने दूसरी दौर की बातचीत पर सहमति जताई. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने इससे पहले हमला रोकने के लिए अपनी मांगें मानने को कहा था जिसमें क्रीमिया पर रूसी अधिकार मान लेना और यूक्रेन को सैन्य विहीन बना देना शामिल है.
लेकिन इससे उलट दुनिया ने रूस पर कूटनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल मामलों में और दबाव बनाया और संयुक्त राष्ट्र की महासभा में रूस को कटघरे में खड़ा किया गया. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में रूस के खिलाफ युद्धापराध के मामले की जांच शुरू कर दी है.