"भारत को नसीहत ना दें", UN में भारत के राजदूत TS Tirumurti ने इस बात पर दिया करारा जवाब

रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को लेकर भारत (India) अब तक संयुक्त राष्ट्र में महासभा (UNGA) और मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के प्रोसीजरल वोट से अलग रहा है जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता की निंदा की गई.  

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संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti )  ने ब्रिटेन में नीदरलैंड के राजदूत से कहा है कि, " कृप्या हमें नसीहत ना दें, भारत को पता है क्या करना है."  इससे पहले डच राजदूत ने कहा था कि भारत को यूक्रेन को लेकर हुई संयुक्त राष्ट्र की महासभा की बैठक में अनुपस्थित नहीं रहना चाहिए था. 24 फरवरी को रूसी सेना सेन जब यूक्रेन में आक्रमण शुरू किया उसके तीन दिन पहले रूस ने यूक्रेन से अलग हुए क्षेत्रों दोनेत्सक और लुहांस्क को स्वतंत्र देशों का दर्जा दे दिया था.

इस साल जनवरी से भारत संयुक्त राष्ट्र में महासभा और मानवाधिकार परिषद की प्रोसीजरल वोट की कार्रवाई से अलग रहा है जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता की निंदा की गई.  

श्री तिरुमूर्ती ने ब्रिटेन में नीदरलैंड्स के राजदूत के ट्वीट के जवाब में कहा," कृप्या हमें नसीहत ना दें हमें पता है क्या करना है."

एक ट्वीट में डच राजदूत ने श्री तिरुमूर्ती से कहा था, " आपको GA में अनुपस्थित नहीं रहना चाहिए था. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का सम्मान करें." 

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श्री तिरुमूर्ती ने बुधवार को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में वक्तव्य दिया था. उन्होंने अपना बयान ट्विटर पर पोस्ट किया था,  इसके जवाब में वान ओसटेरोम ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भारत के अनुपस्थित होने के बारे में टिप्पणी की.  

अप्रेल में भारत जनरल असेंबली से उस वोट में अनुपस्थित रहा था जो अमेरिका ने रूस को संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद से बेदखल करने के लिए रखा था. अमेरिका का आरोप था कि रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी के पास के कस्बों से लौटते हुए नागरिकों की हत्या की.   

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मार्च में भारत भारत संयुक्त राष्ट्र की महासभा के उस रिजोल्यूशन से अनुपस्थित रहा था जो यूक्रेन और उसके सहयोगी देश यूक्रेन के संकट को लेकर लाए थे. भारत ने कहा ता कि युद्ध को रोकने पर और तुरंत मानवीय सहायता पर ध्यान होना चाहिए जो इस रिजोल्यूशन के ड्राफ्ट में नहीं है.  

2 मार्च को जनरल असेंबली ने यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और अंतरराष्ट्रीय सीमाई अक्षुणता को मजबूत रखने के लिए एक वोट किया साथ ही रूसी आक्रमण की कड़े शब्दों में निंदा की गई.  भारत 34 अन्य देशों के साथ इस रिजोल्यूशन से अनुपस्थित रहा था. इस प्रस्ताव के पक्ष में 141वोट पड़े थे और पांच सदस्य देशों ने इसके खिलाफ वोट किया था.  
 

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